Friday 8 December 2017

गुरु guru

गुरु के द्वारा में प्रवेश छोटे बनने से ही मिलता है । इसलिए गुरु के द्वारा में प्रवेश पाने के लिए हमें अपने अहंकार को गला कर छोटा बनना चाहिए ।
जैसे एक छोटे कद का आदमी किसी भी दरवाजे से कही भी प्रवेश कर सकता है वैसे ही जो अपने को छोटा बना लेता है वह गुरु के द्वार में प्रवेश कर पाता है ।
जब तक हम बड़े बने रहेगें तब तक हम गुरु के द्वार में प्रवेश नहीं पा सकते । छोटे बनने से ही गुरु के द्वार में प्रवेश पा सकते हैं ।


हमारे भार में सबसे बड़ा भार अहंकार का होता है । व्‍यक्ति धन के कारण अहंकारी हो जाता है । व्‍यक्ति ज्ञान के कारण अहंकारी हो जाता है । व्‍यक्ति पद के कारण अहंकारी हो जाता है । व्‍यक्ति प्रतिष्‍ठा एवं लोकप्रियता के कारण अहंकारी हो जाता है और यहाँ तक की व्‍यक्ति भक्ति के कारण भी अहंकारी हो जाता है ।
गुरु को अहंकार एकदम पसंद नहीं है । अहंकार का भार लेकर हम गुरु के द्वार पहुँच भी नहीं सकते । अहंकार लेकर गुरु तक पहुँचने की कल्‍पना करना भी मुर्खता है ।
गुरु स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहते हैं कि भार रहित होकर हल्‍के होकर आओ तभी मेरे दरवाजे तुम्‍हारे लिए खुलेगें ।
छोटा बनने के बड़े फायदे हैं । सबसे बड़ा फायदा है कि अहंकार खत्‍म हो जाता है जो गुरु तक पहुँचने के लिए सबसे बड़ी बाधा है । छोटा बनते ही हमारा अहंकार स्‍वत: ही खत्‍म हो जाता है । अपने आपको बड़ा मानने पर ही अहंकार पनपेगा । अपने को छोटा मानते ही अहंकार खत्‍म हो जाता है ।

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