|| देवी महाकाली की कृपा-प्राप्ति मन्त्र ||
ॐ काली-काली महा-काली कण्टक-विनाशिनी रोम-रोम रक्षतु सर्वं मे रक्षन्तु हीं हीं छा चारक।।”
विधिः चेत्र या आश्विन-शुक्ल-प्रतिपदा से नवमी तक देवी का व्रत करे। उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करे।
जप के बाद इसी मन्त्र से १०८ आहुति से। घी, धूप, सरल काष्ठ, सावाँ, सरसों, सफेद-चन्दन का चूरा, तिल, सुपारी, कमल-गट्टा, जौ (यव), इलायची, बादाम, गरी, छुहारा, चिरौंजी, खाँड़ मिलाकर साकल्य बनाए। सम्पूर्ण हवन-सामग्री को नई हांड़ी में रखे। भूमि पर शयन करे। समस्त जप-पूजन-हवन रात्रि में ११ से २ बजे के बीच करे। देवी की कृपा-प्राप्ति होगी तथा रोजाना अपने दोनों की हथेली पर 8 बार मन्त्र बोलकर फूक मारे व हाथो को पूरे शरीर पर फेरे इससे उपरी बाधा – तांत्रिक अभिचार से रक्षा होती है!
जप के बाद इसी मन्त्र से १०८ आहुति से। घी, धूप, सरल काष्ठ, सावाँ, सरसों, सफेद-चन्दन का चूरा, तिल, सुपारी, कमल-गट्टा, जौ (यव), इलायची, बादाम, गरी, छुहारा, चिरौंजी, खाँड़ मिलाकर साकल्य बनाए। सम्पूर्ण हवन-सामग्री को नई हांड़ी में रखे। भूमि पर शयन करे। समस्त जप-पूजन-हवन रात्रि में ११ से २ बजे के बीच करे। देवी की कृपा-प्राप्ति होगी तथा रोजाना अपने दोनों की हथेली पर 8 बार मन्त्र बोलकर फूक मारे व हाथो को पूरे शरीर पर फेरे इससे उपरी बाधा – तांत्रिक अभिचार से रक्षा होती है!
Guruji aap maa durga ka mantra dijiye plz plz Aades Aades goru ji ka Aades Jai Mata di
ReplyDeleteGuruji aap maa durga ka mantra dijiye plz plz Aades Aades goru ji ka Aades Jai Mata di Thanks 🌹🌹🌹
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