अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः ।
ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्मापि तं नरं न रञ्जयति ॥
ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्मापि तं नरं न रञ्जयति ॥
गैरजानकार मनुष्य को समझाना सामान्यतः सरल होता है ।
उससे भी आसान होता है जानकार या विशेषज्ञ अर्थात् चर्चा में निहित विषय को जानने वाले को समझाना ।
किंतु जो व्यक्ति अल्पज्ञ होता है, जिसकी जानकारी आधी-अधूरी होती है,
उसे समझाना तो स्वयं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के भी वश से बाहर होता है ।
मेरे मत में वह व्यक्ति जो अपने विचारों एवं कर्मों को संभव विकल्पों के सापेक्ष तौलने को तैयार नहीं होता, खुले दिमाग से अन्य संभावनाओं पर ध्यान नहीं देता,
आवश्यकतानुसार अपने विचार नहीं बदलता,
अपने आचरण का मूल्यांकन करते हुए उसे नहीं सुधारता और सर्वज्ञ होने या दूसरों से अधिक जानकार होने के भ्रम में जीता है वही मूर्ख है।
आवश्यकतानुसार अपने विचार नहीं बदलता,
अपने आचरण का मूल्यांकन करते हुए उसे नहीं सुधारता और सर्वज्ञ होने या दूसरों से अधिक जानकार होने के भ्रम में जीता है वही मूर्ख है।
आदेश आदेश
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