Sunday, 24 December 2017

औघड़ वाणी

औघड़ वाणी
दया एक बड़ा पाप है न दया करनी चाहिए और न दया की प्राप्ति की आशा करनी चाहिए।
दया से प्रयत्न दूर हो जाता है और प्रयत्न ही सत्य का स्वरूप है।

ईश्वर के यहाँ न्याय होता और हमारे यहाँ की ही तरह वहाँ भी एक न्यायालय है।
किसी पर दया नहीं की जाती।
न्याय का मतलब दया नहीं है।
किसी व्यक्ति के प्रति दया करना, न्याय से डिगना ईश्वर के प्रति बड़ा अपराध करना है।
आदेश आदेश
सुप्रभात


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