श्रीहनुमान साधना
यह साधना शनिवारको आनेवाले पुष्य नक्षत्रमे करनी है।नक्षत्र आरंभ से नक्षत्र समाप्ती तक । * स्नानादिसे निवृत्त होकर पूजापाठ के बाद इस प्रकार साधना होगी।। एक चौरंग पर चावल बिखेरकर उसपर अष्टगन्धसे स्वस्तिक बनाए।फिर उसपर कलश रखे।कलशमे शुद्ध जल भरे।इस जलमे एक सिक्का(coin); अष्टगंध; सफेद पुष्प; एक तुलसिदल; एक बिल्वपत्र; एक सुपाडी; आक का एक छोटासा पान(पर्ण); डाले। फिर इस कलश पर तशतरी रखे।तशतरिमे भी चावल बिखेरकर अष्टदल या स्वस्तिक अष्टगन्धसे बनाए।उसपर हनुमानजीकी छोटी मूर्ती या चित्र रखे।अथवा एक सुपाडीपर हनुमानजीका आवाहन किया जा सकता है।कलश के पिछे श्रीराम पंचायतन का फोटो रखे।सभीका पूजन कर गायत्री मंत्र १०८ बार जाप करे।फिर (१)श्रीरामरक्षास्तोत्रका १ पाठ करे।बादमे(२) राम रामाय नमः मन्त्र का १०८ जप।(३)ओम हम हनुमते नमः-- १०८ जप।फिर (४)श्रीहनुमान स्तोत्र के ११ पाठ। बादमे (५)ओम हम हनुमते नमः - जप १०८।फिर राम रामाय नमः का जप -१०८।और अंतमे फिरसे श्रीरामरक्षा स्तोत्र का १ पाठ। इस प्रकारसे १ मण्डल पूर्ण हुआ।अब एक सफेद पुष्प हनुमानजीको अर्पण करे। फिरसे इसी प्रकार दुसरा ; फिर तीसरा ; चौथा ---------- इस प्रकारसे नक्षत्र समाप्ती तक उपासना करते रहे।अंतमे आरती होगी।११ या कमसे कम १ बटू को भोजन व ११ रुपये दक्षिणा दे।नक्षत्र कम समयका हो; या ज्यादा; नक्षत्र आरंभ से समाप्ती तक साधना होनी चाहिये।वीर हनुमानजी प्रत्यक्ष होकर दर्शन देते है।वर मांगनेको कहते है।तब इच्छित वर मांगना। ध्यानमे रखना कि हनुमानजी जबतक नही बोलते; तबतक हमे भी नही बोलना है।तबतक चुप रहे।बादमे उसी दिन या दुसरे दिन; या सुविधनुसार हनुमान मंदिर में जाकर हनुमंजिको पंचामृत से रुद्राभिषेक; या महिमन स्तोत्र से पंचामृत से अभिषेक करे। इस प्रकार यह मात्र एकही दिनकी प्रभावशाली साधना आपको दी है।जरूर किजीएगा।आपको मेरी अनंत शुभकामनाए।
यह साधना शनिवारको आनेवाले पुष्य नक्षत्रमे करनी है।नक्षत्र आरंभ से नक्षत्र समाप्ती तक । * स्नानादिसे निवृत्त होकर पूजापाठ के बाद इस प्रकार साधना होगी।। एक चौरंग पर चावल बिखेरकर उसपर अष्टगन्धसे स्वस्तिक बनाए।फिर उसपर कलश रखे।कलशमे शुद्ध जल भरे।इस जलमे एक सिक्का(coin); अष्टगंध; सफेद पुष्प; एक तुलसिदल; एक बिल्वपत्र; एक सुपाडी; आक का एक छोटासा पान(पर्ण); डाले। फिर इस कलश पर तशतरी रखे।तशतरिमे भी चावल बिखेरकर अष्टदल या स्वस्तिक अष्टगन्धसे बनाए।उसपर हनुमानजीकी छोटी मूर्ती या चित्र रखे।अथवा एक सुपाडीपर हनुमानजीका आवाहन किया जा सकता है।कलश के पिछे श्रीराम पंचायतन का फोटो रखे।सभीका पूजन कर गायत्री मंत्र १०८ बार जाप करे।फिर (१)श्रीरामरक्षास्तोत्रका १ पाठ करे।बादमे(२) राम रामाय नमः मन्त्र का १०८ जप।(३)ओम हम हनुमते नमः-- १०८ जप।फिर (४)श्रीहनुमान स्तोत्र के ११ पाठ। बादमे (५)ओम हम हनुमते नमः - जप १०८।फिर राम रामाय नमः का जप -१०८।और अंतमे फिरसे श्रीरामरक्षा स्तोत्र का १ पाठ। इस प्रकारसे १ मण्डल पूर्ण हुआ।अब एक सफेद पुष्प हनुमानजीको अर्पण करे। फिरसे इसी प्रकार दुसरा ; फिर तीसरा ; चौथा ---------- इस प्रकारसे नक्षत्र समाप्ती तक उपासना करते रहे।अंतमे आरती होगी।११ या कमसे कम १ बटू को भोजन व ११ रुपये दक्षिणा दे।नक्षत्र कम समयका हो; या ज्यादा; नक्षत्र आरंभ से समाप्ती तक साधना होनी चाहिये।वीर हनुमानजी प्रत्यक्ष होकर दर्शन देते है।वर मांगनेको कहते है।तब इच्छित वर मांगना। ध्यानमे रखना कि हनुमानजी जबतक नही बोलते; तबतक हमे भी नही बोलना है।तबतक चुप रहे।बादमे उसी दिन या दुसरे दिन; या सुविधनुसार हनुमान मंदिर में जाकर हनुमंजिको पंचामृत से रुद्राभिषेक; या महिमन स्तोत्र से पंचामृत से अभिषेक करे। इस प्रकार यह मात्र एकही दिनकी प्रभावशाली साधना आपको दी है।जरूर किजीएगा।आपको मेरी अनंत शुभकामनाए।
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