Friday 15 December 2017

क्रिया हठ योग:

 इसमें विश्राम के आसन, बंध और मुद्रा सम्मिलित हैं | इनसे नाङी एवं चक्र जागरण के साथ-साथ उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है | बाबाजी ने 18 आसनों की एक श्रृंखला तैयार की है जिन्हें दो आसन के युगल में करना सिखाया जाता है | अपने शारीर की देख-भाल मात्र शारीर के लिए नहीं बल्कि इसे ईश्वर का वाहन अथवा मंदिर समझ कर किया जाता है |
क्रिया कुण्डलिनी प्राणायाम: यह व्यक्ति की सुप्त चेतना एवं शक्ति को जगा कर उसे मेरुदंड के मूल से शीर्ष तक स्थित 7 प्रमुख चक्रों में प्रवाहित करने की शक्तिशाली स्व्शन क्रिया है | यह 7 चक्रों से सम्बद्ध क्षमताओं को जागृत कर अस्तित्व के पांचों कोषों को शक्तिपुंज में परिणत करते है |
क्रिया ध्यान योग: यह ध्यान की विभिन्न पद्धतियों से मन को वश में करने, अवचेतन मन की शुद्धि, एकाग्रता का विकास, मानसिक स्पष्टता एवं दूरदर्शिता, बौधिक, सहज ज्ञान तथा सृजनात्मक क्षमताओं की वृद्धि और ईश्वर के साथ समागम अर्थात समाधि एवं आत्म-ज्ञान को क्रमशः प्राप्त करने की एक वैज्ञानिक प्रणाली है |
क्रिया मंत्र योग: सूक्ष्म ध्वनि के मौन मानसिक जप से सहज ज्ञान, बुद्धि एवं चक्र जागृत होते हैं | मंत्र मन में निरंतर चलते हुए कोलाहल का स्थान ले लेता है एवं अथाशक्ति संचय को आसान बनाता है | मंत्र के जप से मन की अवचेतन प्रवृत्तियों की शुद्धि होती है |
क्रिया भक्ति योग: आत्मा की ईश्वर प्राप्ति की अभीप्सा को उर्वरित करता है | इसमें मंत्रोच्चार, कीर्तन, पूजा, यज्ञ एवं तीर्थ यात्रा के साथ-साथ निष्काम सेवा सम्मिलित है | इनसे अपेक्षारहित प्रेम एवं आनंद की अनुभूति होती है | धीरे-धीरे साधक के सभी कार्य मधुर एवं प्रेममय हो जाते हैं और उसे सब में अपने प्रियतम का दर्शन होता है |
गुरुमंत्र
ॐ क्रिया बाबाजी नमः ॐ
(बाबाजी के क्रिया योग का गुरुमंत्र)
ॐ प्रणव, यह प्राणों में व्याप्त होने वाला ब्रह्माण्ड का अदिनाद है |
क्रिया अपने सभी कर्मों को अपनी चेतना की विषय वस्तु मान कर सजगतापूर्वक किया गया कर्म ही क्रिया है | यह क्रिया योगियों के लिए साधन भी है और साध्य भी |
बाबाजी क्रिया योग परम्परा के गुरु हैं जिन्होंने इस प्राचीन शिक्षा का संश्लेषण कर इसे आधुनिक काल में प्रवर्तित किया | परमहंस योगानन्द की पुस्तक "योगी कथामृत" में इन्हीं बाबाजी का उल्लेख है |
नमः अभिवादन एवं आवाहन |
ॐ अन्तःकरण में गुंजायमान आदिनाद |
ॐ क्रिया बाबाजी नमः ॐ, यह गुरुमंत्र हिमालय के सिद्ध क्रिया बाबाजी नागराज से तारतम्य स्थापित कर हमें उनकी कृपा से जोड़ने की शक्ति रखता है |, इस मंत्र के माध्यम से वह अपने भक्तों को दर्शन देते हैं | इस मंत्र के जप से सहस्रार चक्र में अवस्थित परम चेतना अर्थात अन्तःगुरु से सान्निध्य हो जाता है | इस मंत्र में चैतन्य ऊर्जा है | इस मंत्र में शक्ति है क्योंकि मंत्र से ही गुरु अपनी चैतन्य ऊर्जा अपने शिष्य में प्रविष्ट करते हैं | मंत्र के मूल में गुरु के शब्द हैं और मंत्र तो स्वयं साक्षात् गुरु हैं |
क्रिया योग सजग कर्म है | यह अपनी वास्तविकता पहचानने का एवं आत्म-ज्ञान प्राप्ति का मार्ग है | बाबाजी के क्रिया योग में न केवल योग के सभी अभ्यास जैसे आसन, प्राणायाम, ध्यान तथा मंत्र में पूर्ण "सजगता" सम्मिलित है बल्कि अपने वचन, विचार, स्वप्न और इच्छाओं के प्रति सतत सजगता भी सन्निहित है | इस साधना में हमें अतिचैतन्य बनाने की अपार क्षमता है | बस अपने शारीर मन एवं समग्र चेतना से अपनी आत्मा की पूर्ण शुद्धि की कामना से जुड़ने की तत्परता चाहिए | बाबाजी का क्रिया योग आत्म-साक्षात्कार एवं अपने पांचों शारीर (भौतिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक ) के कायाकल्प हेतू 144 क्रियाओं का संकलन है |
क्रिया हठ योग का प्रथम लक्ष्य है शरीर एवं मन की गहन विश्राम की स्थिति | आसन शरीर को आधि-व्याधि से मुक्त करते हैं | विविध आसनों से शरीर हल्का, लचीला एवं स्फूर्तिवान बनता है | इन 18 आसनों का अभ्यास मेरुदण्ड में स्थित ऊर्जा चक्रों, कुण्डलिनी शक्ति एवं चेतना को जाग्रत करता है |
क्रिया कुण्डलिनी प्राणायाम स्नायुतंत्र के प्रमुख सूक्ष्म भागों पर सीधा प्रभाव डालता है | प्राणायाम का प्रथम लक्ष्य है स्नायुतंत्र को परिशुद्ध कर प्राणशक्ति को सभी चक्रों में अनवरुद्ध प्रवाहित करना | अंतिम लक्ष्य है सुषुम्ना नाङी को जाग्रत कर कुण्डलिनी को उसमे ऊर्ध्वगामी करना |
बाबाजी के क्रिया ध्यान योग की मांग है अपनी अन्तःचेतना में उपलब्ध यथार्थ बोध को अपनी जाग्रत अवस्था में लाकर उसे और भी प्रभावकारी बनाना | हमारे जीवन का स्वरुप इस बात पर निर्भर करता है की हमारी चेतना किस स्तर ( सोपान) पर है | 

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