Wednesday, 6 December 2017

कोई दिवाना कहता कोई पागल समझता है मगर तंत्र की महिमा को सिर्फ साधक समझता है।

कोई दिवाना कहता कोई पागल समझता है मगर तंत्र की महिमा को सिर्फ साधक समझता है।
तू मुझसे दूर कैसी है , मै तुझ से दूर कैसा हू ये साधक समझता है या शक्ति समझती है

नमस्कार! मित्रों जुलाई आने वाली है जुलाई मे कई अच्छे मुहूर्त भी है ओर गुप्तनवरात्रि का भी पर्व है हमने कहा था कि हम आपको अप्सरा साधना के बारे मे बतायेगे ओर साधना भी कराएँगे
तो साधना की तैयारी मे आज हम बताते है कि मन को एकाग्र करना अब ये कैसे हो पहले तो प्राणायाम किया अब मन एकाग्र की बात हा मित्रों कहते है ना कि करत करत अभ्यास के,जडमति होत सुजान।रस्सी आवत जात के शिल पर परत निशान।बार बार अभ्यास करने से सब काम संभव है।चाहे वह साधना हो या मन की एकाग्रता तो अब मन को एकाग्र करनै के लिए पहले बिलकुल शरीर ढीला छोड़ दे धीरे से आखे बंद कीजिए और दोनो बोह के बीच जहा स्त्री बिंदी लगाती है वहा आख बंद कर ध्यान लगाओ ।कुछ समय मन भटकेगा फिर अपने आप धीरे धीरे मजा आने लग जाएगा।
ये रोज १५ से३०मिनट करे
या फिर किसी भी भगवान की फोटो पर हम ध्यान लगा सकते है सिर्फ एक जगह ही ध्यान को केन्द्रीय करना है
फिर हम हमारे शरीर का बंधन करेगे वो हम कल बतायेगे कि शरिर शुद्धि ओर बंधन कैसे करते है उसके बाद आसान बंधन आसन ग्रहण करना गुरू गनेश पूजन संकल्प इन सब पर हम हमारी अगली पोस्टो पर चर्चा करेगे।आज के लिए बस इतना ही
अभ्यास जारी रखे मित्रों कही ये मोका हाथ से ना निकल जाये जय गुरुदेव
हरि ऊ

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