।। रुद्राक्ष ।।
रुद्राक्ष को धारण करने के लिए इन नियम का आप पालन कीजिये...बिना नियम के रुद्राक्ष धारण करना शिव् पुराण के अनुशार अक्षम्य अपराध गिना गया हे जिस से अज्ञानता वश आप दोषित हो सकते हो...सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचगव्य तथा पंचामृत से रुद्राक्ष का प्रक्षालन करके बाद में गंगाजल से उसे साफ़ कीजिये फिर उस पर इन मन्त्रों...
''नमः शिवाय''
''ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात '' और
''ॐ हौं अघोरे ॐ हौं घोरे हुं घोरतरे ॐ ह्रैं ह्रीं सर्वतः सर्वेभ्यो नमस्ते रूद्ररूपिणे''....
का जप करे, फिर एक एक रुद्राक्ष पर जितने मुखी का हो उनके मंत्रों का 108 बार जप करे ...
1. एकमुखी- ॐ ऊं भृशं नमः ।
2. दोमुखी- ॐ ऊं नमः ।
3. तीनमुखी- ॐ ह्रां नमः ।
4. चारमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।
5. पांचमुखी- ॐ हुं नमः ।
6. छःमुखी- ॐ हूं नमः ।
7. सातमुखी- ॐ ऊं हुं हूं नमः ।
8. आठमुखी- ॐ सं हुं नमः ।
9. नौमुखी- ॐ हुं नमः ।
10. दशमुखी- ॐ हं नमः ।
11. एकादशमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।
12. द्वादशमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।
13. तेरहमुखी- ॐ क्षां क्षौं नमः ।
14. चौदहमुखी- ॐ नमो नमः ।
अब इनको धारण करने का मंत्र उपर दिए गए विधान से सुद्ध करके 108 बार इसके जाप कर के आप धारण कर सकते हे...
1. एकमुखी- ॐ ऐं ।
2. दोमुखी- ॐ श्रीं ।
3. तीनमुखी- ॐ ध्रुं ध्रुं ।
4. चारमुखी- ॐ हां हूंः ।
5. पांचमुखी- ॐ ह्रीं ।
6. छःमुखी- ॐ ऐं ह्रीं ।
7. सातमुखी- ॐ ह्रीं ।
8. आठमुखी- ॐ रुं रं ।
9. नौमुखी- ॐ ह्रां ।
10. दशमुखी- ॐ ह्रीं ।
11. एकादशमुखी- ॐ श्रीं ।
12. द्वादशमुखी- ॐ ह्रां ह्रीं ।
13. तेरहमुखी- ॐ क्षौं स्रौं ।
14. चौदहमुखी- ॐ डं मां ।
।। अवधूत महाकाल ।।
रुद्राक्ष को धारण करने के लिए इन नियम का आप पालन कीजिये...बिना नियम के रुद्राक्ष धारण करना शिव् पुराण के अनुशार अक्षम्य अपराध गिना गया हे जिस से अज्ञानता वश आप दोषित हो सकते हो...सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचगव्य तथा पंचामृत से रुद्राक्ष का प्रक्षालन करके बाद में गंगाजल से उसे साफ़ कीजिये फिर उस पर इन मन्त्रों...
''नमः शिवाय''
''ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात '' और
''ॐ हौं अघोरे ॐ हौं घोरे हुं घोरतरे ॐ ह्रैं ह्रीं सर्वतः सर्वेभ्यो नमस्ते रूद्ररूपिणे''....
का जप करे, फिर एक एक रुद्राक्ष पर जितने मुखी का हो उनके मंत्रों का 108 बार जप करे ...
1. एकमुखी- ॐ ऊं भृशं नमः ।
2. दोमुखी- ॐ ऊं नमः ।
3. तीनमुखी- ॐ ह्रां नमः ।
4. चारमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।
5. पांचमुखी- ॐ हुं नमः ।
6. छःमुखी- ॐ हूं नमः ।
7. सातमुखी- ॐ ऊं हुं हूं नमः ।
8. आठमुखी- ॐ सं हुं नमः ।
9. नौमुखी- ॐ हुं नमः ।
10. दशमुखी- ॐ हं नमः ।
11. एकादशमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।
12. द्वादशमुखी- ॐ ह्रीं नमः ।
13. तेरहमुखी- ॐ क्षां क्षौं नमः ।
14. चौदहमुखी- ॐ नमो नमः ।
अब इनको धारण करने का मंत्र उपर दिए गए विधान से सुद्ध करके 108 बार इसके जाप कर के आप धारण कर सकते हे...
1. एकमुखी- ॐ ऐं ।
2. दोमुखी- ॐ श्रीं ।
3. तीनमुखी- ॐ ध्रुं ध्रुं ।
4. चारमुखी- ॐ हां हूंः ।
5. पांचमुखी- ॐ ह्रीं ।
6. छःमुखी- ॐ ऐं ह्रीं ।
7. सातमुखी- ॐ ह्रीं ।
8. आठमुखी- ॐ रुं रं ।
9. नौमुखी- ॐ ह्रां ।
10. दशमुखी- ॐ ह्रीं ।
11. एकादशमुखी- ॐ श्रीं ।
12. द्वादशमुखी- ॐ ह्रां ह्रीं ।
13. तेरहमुखी- ॐ क्षौं स्रौं ।
14. चौदहमुखी- ॐ डं मां ।
।। अवधूत महाकाल ।।
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