Thursday, 30 November 2017

स्त्री का सच्चा गुरु....!!!

स्त्री का सच्चा गुरु....!!!
एक समय शिव जी और माता पार्वती कैलाश पर विराजमान थे कि तभी कहीं से कुछ जल के कुछ छीटे दोनों पर पड़े। माँ पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि यहाँ कैलाश पर ये जल के छीटे कहाँ से आये। इस पर शिव जी ने बोला कि दूर कहीं महासागर में किसी बड़ी मछली की पूंछ पटकने से ये छीटे आये हैं। इस पर माता पार्वती बोलीं कि वो मछली इतनी बलशाली है अवश्य ही मैं उसे अपना गुरु बनाऊँगी। इस पर शिव जी ने कहा कि स्त्री का गुरु उसका पति ही होता है। अतः मैं ही तुम्हारा गुरु हूँ। माता नहीं मानी और हठ करके उस मछली के पास पहुंची।

मछली से माता बोली कि तुम इतनी बलशाली हो मैं तुम्हे अपने गुरु के रूप में धारण करना चाहती हूँ। कृपया मुझे अपनी शिष्या स्वीकार करें। इस पर मछली ने नम्रतापूर्वक कहा कि मुझ जैसी अनगिनत मछलियाँ इस सागर में समाहित हैं अगर गुरु बनाना है तो इस सागर को बनाइये।
माता सागर के पास पहुंची और गुरु बनाने की मंशा प्रकट की। ये सुनकर सागर ने क्षमा मांगते हुए कहा कि हे देवी अगर गुरु बनाना है तो इस धरती को बनाये जिसमे मुझ जैसे सात सात महासागर हैं।
अब माता ने धरती माँ से निवेदन किया, सुनते ही धरती माँ ने कहा कि मेरा बोझ तो स्वयं शेषनाग ने अपने फण पर उठा रखा है। गुरु बनाना है तो उन्हें बनाइये।
अब शेषनाग के पास पहुँच कर माता ने उनसे गुरु बन जाने का आग्रह किया तो शेषनाग ने कहा कि हे माते गुरु बन ने योग्य तो भगवान शिव ही हैं क्योंकि उन्होंने ही मुझे अपने कंठ प्रदेश में धारण कर रखा है।

।। हर हर महादेव ।।


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