Thursday, 30 November 2017

शक्ति बिना मुक्ति नहीं

शक्ति बिना मुक्ति नहीं
🔶 यह बात भली-भाँति हृदयंगम कर लेनी चाहिये कि शक्ति बिना मुक्ति नहीं। गरीबी से, गुलामी से, बीमारी से, बेईमानी से भव बाधा से तब तक छुटकारा नहीं मिल सकता, जब तक कि शक्ति का उपार्जन न किया जाय। आर्य जाति सदा से ही शक्ति का महत्व स्वीकार करती है और उसने शक्ति पूजा को ऊँचा स्थान दिया है।
🔷 एक महात्मा का कथन है कि Right is might, therefore might is Right अर्थात् सत्य ही शक्ति है, इसलिए शक्ति ही सत्य है, अविद्या, अन्धकार और अनाचार का नाश सत्य के प्रकाश द्वारा ही हो सकता है। मन में शक्ति का उदय होने पर साधारण से मनुष्य कोलम्बस, लेनिन, गाँधी, सनयातसेन जैसी हस्ती बन जाते हैं।
🔶 आत्मा की मुक्ति भी ज्ञान शक्ति एवं साधन शक्ति से ही होती है। अकर्मण्य और निर्बल मन वाला व्यक्ति आत्मोद्धार नहीं कर सकता और न ही ईश्वर को ही प्राप्त कर सकता है। लौकिक और पारलौकिक सब प्रकार के दुख द्वंद्वों से छुटकारा पाने के लिए शक्ति की ही उपासना करनी पड़ेगी। निस्संदेह शक्ति के बिना मुक्ति नहीं मिल सकती अशक्त मनुष्य तो दुख द्वंद्वों में ही पड़े-पड़े बिलबिलाते रहेंगे और कभी भाग्य को, कभी ईश्वर को, कभी दुनिया को दोष देते हुए झूठी विडंबना करते रहेंगे। जो व्यक्ति किसी भी दशा में महत्व प्राप्त करना चाहते है, उन्हें चाहिये कि अपने इच्छित मार्ग के लिये शक्ति संपादन करे।


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