Thursday 30 November 2017

आदेश आदेश

आदेश आदेश
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गुरु जब शिष्य के धन पर अकार्षित होता है तो उसका गुरु तत्व नष्ट हो जाता है
और वैसे ही शिष्य जब गुरु से छल या कपट करता है और उनके धन की और अकार्षित होता है तो उसका शिष्य तत्व उसी छण नष्ट हो जाता है थना
वह जीवन में किसी भी साधना भक्ति में कभी भी सफल नहीं होता है 
यह हमारी बात अटल है

अगर यह गुण गुरु या फिर शिष्य मैं है तो उनका पतन निश्चित होता है
किसी भी कार्य को करने के पहले हमें बुनियादी बातो का मनन करना आवश्यक है
क्योंकि
* अधकुचली विद्या बुरी ओछे कुल की नार।
कोड पडी धरती बुरी यह तीनो एक समान।।*
हमें आधी शिक्षा कभी भी नहीं लेनी चाहिए क्योंकि अगर हम अधुरे है शरेन। तो कभी पुरे नहीं हो सकते जब हम पुरे नहीं हो सकते तो हम किसी को सही दिशा दिखा भी नहीं सकते हैं
क्योंकि हम अधुरे है
कहने का अर्थ यह है
चाहे भक्ति हो
चाहे गुरु सेवा हो
चाहे मंत्र तंत्र की शिक्षा हो
हमें हमेशा संपूर्णता से ग्रहण करना चाहिए
यही छोटी छोटी बातों पर हमे ध्यान देना चाहिए।।

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