Thursday 30 November 2017

👉 सौभाग्य भरे क्षणों को तिरस्कृत न करें

👉 सौभाग्य भरे क्षणों को तिरस्कृत न करें
🔴 ईश्वर ने मनुष्य को एक साथ इकट्ठा जीवन न देकर उसे अलग−अलग क्षणों में टुकड़े−टुकड़े करके दिया है। नया क्षण देने से पूर्व वह पुराना वापिस ले लेता है और देखता है कि उसका किस प्रकार उपयोग किया गया। इस कसौटी पर हमारी पात्रता कसने के बाद ही वह हमें अधिक मूल्यवान क्षणों का उपहार प्रदान करता है।।
🔵 समय ही जीवन है। उसका प्रत्येक क्षण बहुमूल्य है। वे हमारे सामने ऐसे ही खाली हाथ नहीं आते वरन् अपनी पीठ कीमती उपहार लादे होते हैं। यदि उनकी उपेक्षा की जाय तो निराश होकर वापिस लौट जाते है किन्तु यदि उनका स्वागत किया जाय तो उन मूल्यवान संपदाओं को देकर ही जाते है किन्तु यदि ईश्वर ने अपने परम प्रिय राजकुमार के लिए भेजी है।

🔴 जीवन का हर प्रभात सच्चे मित्र की तरह नित नये अनुदान लेकर आता है। वह चाहता है उस दिन का शृंगार करने में इस अनुदान के किये गये सदुपयोग को देख कर प्रसन्नता व्यक्त करें।
🔵 उपेक्षा और तिरस्कार पूर्वक लौटा दिये गये जीवन के क्षण−घटक दुखी होकर वापिस लौटते हैं। आलस्य और प्रमाद में पड़ा हुआ मनुष्य यह देख ही नहीं पाता कि उसके सौभाग्य का सूर्य दरवाजे पर दिन आता है और कपाट बन्द देख कर निराश वापिस लौट जाता है।
🌹 रवीन्द्रनाथ टैगोर
🌹 अखण्ड ज्योति- अप्रैल 1974 पृष्ठ 1

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