Thursday, 21 September 2017

अक्षय-धन-प्राप्ति मन्त्र

अक्षय-धन-प्राप्ति मन्त्र :----


हे मां लक्ष्मी, शरण हम तुम्हारी।
पूरण करो अब माता कामना हमारी।।
धन की अधिष्ठात्री, जीवन-सुख-दात्री।
सुनो-सुनो अम्बे सत्-गुरु की पुकार।
शम्भु की पुकार, मां कामाक्षा की पुकार।।
तुम्हें विष्णु की आन, अब मत करो मान।
आशा लगाकर अम देते हैं दीप-दान।।
मन्त्र- “ॐ नमः विष्णु-प्रियायै, ॐ नमः कामाक्षायै। ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं श्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।”
विधि- ‘दीपावली’ की सन्ध्या को पाँच मिट्टी के दीपकों में गाय का घी डालकर रुई की बत्ती जलाए। ‘लक्ष्मी जी’ को दीप-दान करें और ‘मां कामाक्षा’ का ध्यान कर उक्त प्रार्थना करे। मन्त्र का १०८ बार जप करे। ‘दीपक’ सारी रात जलाए रखे और स्वयं भी जागता रहे। नींद आने लगे, तो मन्त्र का जप करे। प्रातःकाल दीपों के बुझ जाने के बाद उन्हें नए वस्त्र में बाँधकर ‘तिजोरी’ या ‘बक्से’ में रखे। इससे श्रीलक्ष्मीजी का उसमें वास हो जाएगा और धन-प्राप्ति होगी। प्रतिदिन सन्ध्या समय दीप जलाए और पाँच बार उक्त मन्त्र का जप करे।

Wednesday, 20 September 2017

गोरख शाबर गायत्री मन्त्र :---

गोरख शाबर गायत्री मन्त्र :---

ॐ गुरुजी, सत नमः आदेश। गुरुजी को आदेश। ॐकारे शिव-रुपी, मध्याह्ने हंस-रुपी, सन्ध्यायां साधु-रुपी। हंस, परमहंस दो अक्षर। गुरु तो गोरक्ष, काया तो गायत्री। ॐ ब्रह्म, सोऽहं शक्ति, शून्य माता, अवगत पिता, विहंगम जात, अभय पन्थ, सूक्ष्म-वेद, असंख्य शाखा, अनन्त प्रवर, निरञ्जन गोत्र, त्रिकुटी क्षेत्र, जुगति जोग, जल-स्वरुप रुद्र-वर्ण। सर्व-देव ध्यायते। आए श्री शम्भु-जति गुरु गोरखनाथ। ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोरक्षः प्रचोदयात्। ॐ इतना गोरख-गायत्री-जाप सम्पूर्ण भया। गंगा गोदावरी त्र्यम्बक-क्षेत्र कोलाञ्चल अनुपान शिला पर सिद्धासन बैठ। नव-नाथ, चौरासी सिद्ध, अनन्त-कोटि-सिद्ध-मध्ये श्री शम्भु-जति गुरु गोरखनाथजी कथ पढ़, जप के सुनाया। सिद्धो गुरुवरो, आदेश-आदेश।।”
साधन-विधि एवं प्रयोग :--

प्रतिदिन गोरखनाथ जी की प्रतिमा का पंचोपचार से पूजनकर 21,27,41 या 108 जप करें। नित्य जप से भगवान् गोरखनाथ की कृपा मिलती है, जिससे साधक और उसका परिवार सदा सुखी रहता है। बाधाएँ स्वतः दूर हो जाती है। सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है और अन्त में परम पद प्राप्त होता है।

Wednesday, 6 September 2017

श्राद्ध के बारेमें कुछ विशेष 



अभी श्राद्ध पक्ष आने वाला है तो  श्राद्ध कर्म करते समय कुछ बातों का ध्यान रखें ।

☘★★ पितृ-पक्ष - श्राद्ध. ★★☘

•• इस सृष्टि में हर चीज का अथवा प्राणी का जोड़ा है । जैसे - रात और दिन, अँधेरा और उजाला, सफ़ेद और काला, अमीर और गरीब अथवा नर और नारी इत्यादि बहुत गिनवाये जा सकते हैं । सभी चीजें अपने जोड़े से सार्थक है अथवा एक-दूसरे के पूरक है । दोनों एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं ।

इसी तरह दृश्य और अदृश्य जगत का भी जोड़ा है । दृश्य जगत वो है जो हमें दिखता है और अदृश्य जगत वो है जो हमें नहीं दिखता । ये भी एक-दूसरे पर निर्भर है और एक-दूसरे के पूरक हैं । पितृ-लोक भी अदृश्य-जगत का हिस्सा है और अपनी सक्रियता के लिये दृश्य जगत के श्राद्ध पर निर्भर है ।

☘•• धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है

☘•• पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। इसी दिन से महालय (श्राद्ध) का प्रारंभ भी माना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है।

☘•• श्राद्ध में पितरों को आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्ड दान तथा तिलांजलि प्रदान कर संतुष्ट करेंगे। इसी आशा के साथ वे पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक हिंदू गृहस्थ को पितृपक्ष में श्राद्ध अवश्य रूप से करने के लिए कहा गया है।

☘•• श्राद्ध से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। मगर ये बातें श्राद्ध करने से पूर्व जान लेना बहुत जरूरी है क्योंकि कई बार विधिपूर्वक श्राद्ध न करने से पितृ श्राप भी दे देते हैं। आज हम आपको श्राद्ध से जुड़ी कुछ विशेष बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं--

1-🔘 श्राद्धकर्म में गाय का घी, दूध या दही काम में लेना चाहिए। यह ध्यान रखें कि गाय को बच्चा हुए दस दिन से अधिक हो चुके हैं। दस दिन के अंदर बछड़े को जन्म देने वाली गाय के दूध का उपयोग श्राद्ध कर्म में नहीं करना चाहिए।

2- 🔘श्राद्ध में चांदी के बर्तनों का उपयोग व दान पुण्यदायक तो है ही राक्षसों का नाश करने वाला भी माना गया है। पितरों के लिए चांदी के बर्तन में सिर्फ पानी ही दिए जाए तो वह अक्षय तृप्तिकारक होता है। पितरों के लिए अर्घ्य, पिण्ड और भोजन के बर्तन भी चांदी के हों तो और भी श्रेष्ठ माना जाता है।

3- 🔘श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन करवाते समय परोसने के बर्तन दोनों हाथों से पकड़ कर लाने चाहिए, एक हाथ से लाए अन्न पात्र से परोसा हुआ भोजन राक्षस छीन लेते हैं।

4-🔘 ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर एवं व्यंजनों की प्रशंसा किए बगैर करना चाहिए क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं जब तक ब्राह्मण मौन रह कर भोजन करें।

5-🔘 जो पितृ शस्त्र आदि से मारे गए हों उनका श्राद्ध मुख्य तिथि के अतिरिक्त चतुर्दशी को भी करना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध गुप्त रूप से करना चाहिए। पिंडदान पर साधारण या नीच मनुष्यों की दृष्टि पडने से वह पितरों को नहीं पहुंचता।

6-🔘 श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन करवाना आवश्यक है, जो व्यक्ति बिना ब्राह्मण के श्राद्ध कर्म करता है, उसके घर में पितर भोजन नहीं करते, श्राप देकर लौट जाते हैं। ब्राह्मण हीन श्राद्ध से मनुष्य महापापी होता है।

7- 🔘श्राद्ध में जौ, कांगनी, मटरसरसों का उपयोग श्रेष्ठ रहता है। तिल की मात्रा अधिक होने पर श्राद्ध अक्षय हो जाता है। वास्तव में तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं। कुशा (एक प्रकार की घास) राक्षसों से बचाते हैं।

8-🔘 दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए। वन, पर्वत, पुण्यतीर्थ एवं मंदिर दूसरे की भूमि नहीं माने जाते क्योंकि इन पर किसी का स्वामित्व नहीं माना गया है। अत: इन स्थानों पर श्राद्ध किया जा सकता है।

9- 🔘चाहे मनुष्य देवकार्य में ब्राह्मण का चयन करते समय न सोचे, लेकिन पितृ कार्य में योग्य ब्राह्मण का ही चयन करना चाहिए क्योंकि श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों द्वारा ही होती है।

10- 🔘जो व्यक्ति किसी कारणवश एक ही नगर में रहनी वाली अपनी बहिन, जमाई और भानजे को श्राद्ध में भोजन नहीं कराता, उसके यहां पितर के साथ ही देवता भी अन्न ग्रहण नहीं करते।

11- 🔘श्राद्ध करते समय यदि कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदरपूर्वक भोजन करवाना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसे समय में घर आए याचक को भगा देता है उसका श्राद्ध कर्म पूर्ण नहीं माना जाता और उसका फल भी नष्ट हो जाता है।

12-🔘 शुक्लपक्ष में, रात्रि में, युग्म दिनों (एक ही दिन दो तिथियों का योग)में तथा अपने जन्मदिन पर कभी श्राद्ध नहीं करना चाहिए। धर्म ग्रंथों के अनुसार सायंकाल का समय राक्षसों के लिए होता है, यह समय सभी कार्यों के लिए निंदित है। अत: शाम के समय भी श्राद्धकर्म नहीं करना चाहिए।

13- 🔘श्राद्ध में प्रसन्न पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, विद्या, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष और स्वर्ग प्रदान करते हैं। श्राद्ध के लिए शुक्लपक्ष की अपेक्षा कृष्णपक्ष श्रेष्ठ माना गया है।

14- 🔘रात्रि को राक्षसी समय माना गया है। अत: रात में श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। दोनों संध्याओं के समय भी श्राद्धकर्म नहीं करना चाहिए। दिन के आठवें मुहूर्त (कुतपकाल) में पितरों के लिए दिया गया दान अक्षय होता है।

15- 🔘श्राद्ध में ये चीजें होना महत्वपूर्ण हैं- गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र, कुश और तिल। केले के पत्ते पर श्राद्ध भोजन निषेध है। सोने, चांदी, कांसे, तांबे के पात्र उत्तम हैं। इनके अभाव में पत्तल उपयोग की जा सकती है।

16- 🔘★★★★तुलसी से पितृगण प्रसन्न होते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृगण गरुड़ पर सवार होकर विष्णु लोक को चले जाते हैं। तुलसी से पिंड की पूजा करने से पितर लोग प्रलयकाल तक संतुष्ट रहते हैं।

17- 🔘रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन श्रेष्ठ हैं। आसन में लोहा किसी भी रूप में प्रयुक्त नहीं होना चाहिए।

18- 🔘चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी, अपवित्र फल या अन्न श्राद्ध में निषेध हैं।

19-🔘 भविष्य पुराण के अनुसार श्राद्ध 12 प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
1- नित्य, 2- नैमित्तिक, 3- काम्य, 4- वृद्धि, 5- सपिण्डन, 6- पार्वण, 7- गोष्ठी, 8- शुद्धर्थ, 9- कर्मांग, 10- दैविक, 11- यात्रार्थ, 12- पुष्टयर्थ

20- 🔘श्राद्ध के प्रमुख अंग इस प्रकार :🔘

तर्पण-☘ इसमें दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल पितरों को तृप्त करने हेतु दिया जाता है। श्राद्ध पक्ष में इसे नित्य करने का !

पञ्च मकार साधन रहस्य


साधना में पञ्च मकारों का बड़ा महत्व है| पर जितना अर्थ का  अनर्थ इन शब्दों का  किया गया है उतना अन्य किसी का भी नहीं| इनका तात्विक अर्थ कुछ और है व शाब्दिक कुछ और| इनके गहन अर्थ को अल्प शब्दों में व्यक्त करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया गया उनको लेकर दुर्भावनावश कुतर्कियों ने सनातन धर्म को बहुत बदनाम किया है|

मद्य, मांस, मत्स्य, मुद्रा और मैथुन ये पञ्च मकार हैं जिन्हें मुक्तिदायक बताया गया है|
 कुलार्णव तन्त्र के अनुसार — “मद्यपानेन मनुजो यदि सिद्धिं लभेत वै| मद्यपानरता: सर्वे सिद्धिं गच्छन्तु पामरा:|| मांसभक्षेणमात्रेण यदि पुण्या गतिर्भवेत| लोके मांसाशिन: सर्वे पुन्यभाजौ भवन्तु ह|| स्त्री संभोगेन देवेशि यदि मोक्षं लभेत वै| सर्वेsपि जन्तवो लोके मुक्ता:स्यु:स्त्रीनिषेवात||” मद्यपान द्वारा यदि मनुष्य सिद्धि प्राप्त कर ले तो फिर मद्यपायी पामर व्यक्ति भी सिद्धि प्राप्त कर ले| मांसभक्षण से ही यदि पुण्यगति हो तो सभी मांसाहारी ही पुण्य प्राप्त कर लें| हे देवेशि! स्त्री-सम्भोग द्वारा यदि मोक्ष प्राप्त होता है तो फिर सभी स्त्री-सेवा द्वारा मुक्त हो जाएँ| ……………………………………………………………………………………………………………….. (1) आगमसार के अनुसार मद्यपान किसे कहते हैं —- “सोमधारा क्षरेद या तु ब्रह्मरंध्राद वरानने| पीत्वानंदमयास्तां य: स एव मद्यसाधक:|| हे वरानने! ब्रह्मरंध्र यानि सहस्त्रार से जो अमृतधारा निकलती है उसका पान करने से जो आनंदित होते हैं उन्हें ही मद्यसाधक कहते हैं| ***ब्रह्मा का कमण्डलु तालुरंध्र है और हरि का चरण सहस्त्रार है| सहस्त्रार से जो अमृत की धारा तालुरन्ध्र में जिव्हाग्र पर (ऊर्ध्वजिव्हा) आकर गिरती है वही मद्यपान है| इसीलिए ध्यान साधना हमेशा खेचरी मुद्रा में ही करनी चाहिए|
*** (२) आगमसार के अनुसार– “माँ शब्दाद्रसना ज्ञेया तदंशान रसना प्रियान | सदा यो भक्षयेद्देवि स एव मांससाधक: ||” अर्थात मा शब्द से रसना और रसना का अंश है वाक्य जो रसना को प्रिय है| जो व्यक्ति रसना का भक्षण करते हैं यानी वाक्य संयम करते हैं उन्हें ही मांस साधक कहते हैं| जिह्वा के संयम से वाक्य का संयम स्वत: ही खेचरी मुद्रा में होता है| तालू के मूल में जीभ का प्रवेश कराने से बात नहीं हो सकती और इस खेचरीमुद्रा का अभ्यास करते करते अनावश्यक बात करने की इच्छा समाप्त हो जाती  है इसे ही मांसभक्षण कहते हैं|
*****(३) आगमसार के अनुसार — “गंगायमुनयोर्मध्ये मत्स्यौ द्वौ चरत: सदा| तौ मत्स्यौ भक्षयेद यस्तु स: भवेन मत्स्य साधक:||”
अर्थान गंगा यानि इड़ा, और यमुना यानि पिंगला; इन दो नाड़ियों के बीच सुषुम्ना में जो श्वास-प्रश्वास गतिशील है वही मत्स्य है| जो योगी आतंरिक प्राणायाम द्वारा सुषुम्ना में बह रहे प्राण तत्व को नियंत्रित कर लेते हैं वे ही मत्स्य साधक हैं|
*****(४) आगमसार के अनुसार चौथा मकार “मुद्रा” है — “सहस्त्रारे महापद्मे कर्णिका मुद्रिता चरेत| आत्मा तत्रैव देवेशि केवलं पारदोपमं|| सूर्यकोटि प्रतीकाशं चन्द्रकोटि सुशीतलं| अतीव कमनीयंच महाकुंडलिनियुतं| यस्य ज्ञानोदयस्तत्र मुद्रासाधक उच्यते||”
सहस्त्रार के महापद्म में कर्णिका के भीतर पारद की तरह स्वच्छ निर्मल करोड़ों सूर्य-चंद्रों की आभा से भी अधिक प्रकाशमान ज्योतिर्मय सुशीतल अत्यंत कमनीय महाकुंडलिनी से संयुक्त जो आत्मा विराजमान है उसे जिन्होंने जान लिया है वे मुद्रासाधक हैं| विजय तंत्र के अनुसार दुष्टो की संगती रूपी बंधन से बचे रहना ही मुद्रा है|
****** (५) शास्त्र के अनुसार मैथुन किसे कहते हैं अब इस पर चर्चा करते हैं| आगमसार के अनुसार — (इस की व्याख्या नौ श्लोकों में है अतः स्थानाभाव के कारण उन्हें यहाँ न लिखकर उनका भावार्थ ही लिख रहा हूँ)
मैथुन तत्व ही सृष्टि, स्थिति और प्रलय का कारण है| मैथुन द्वारा सिद्धि और ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है| नाभि (मणिपुर) चक्र के भीतर कुंकुमाभास तेजसतत्व ‘र’कार है| उसके साथ आकार रूप हंस यानि अजपा-जप द्वारा आज्ञाचक्र स्थित ब्रह्मयोनि के भीतर बिंदु स्वरुप ‘म’कार का मिलन होता है| ऊर्ध्व में स्थिति प्राप्त होने पर ब्रह्मज्ञान का उदय होता है, उस अवस्था में रमण करने का नाम ही “राम” है| इसका वर्णन मुंह से नहीं किया जा सकता| जो साधक सदा आत्मा में रमण करते हैं उनके लिए “राम” तारकमंत्र है| हे देवि, मृत्युकाल में राम नाम जिसके स्मरण में रहे वे स्वयं ही ब्रह्ममय हो जाते हैं| यह आत्मतत्व में स्थित होना ही मैथुन तत्व है| अंतर्मुखी प्राणायाम आलिंगन है| स्थितिपद में मग्न हो जाने का नाम चुंबन है| केवल कुम्भक की स्थिति में जो आवाहन होता है वह सीत्कार है| खेचरी मुद्रा में जिस अमृत का क्षरण होता है वह नैवेद्य है| यामल तंत्र के अनुसार मूलाधार से उठकर कुंडलिनी रूपी महाशक्ति का सहस्त्रार स्थित परम ब्रह्म शिव से सायुज्य ही मैथुन है| अजपा-जप ही रमण है| यह रमण करते करते जिस आनंद का उदय होता है वह दक्षिणा है| संक्षिप्त में आत्मा में यानि राम में सदैव रमण ही तंत्र शास्त्रों के अनुसार मैथुन है न कि शारीरिक सम्भोग|
_______यह पंच मकार की साधना भगवान शिव द्वारा पार्वती जी को बताई गयी है|  यह साधना उन को स्वतः ही समझ में आ जाती है जो नियमित ध्यान साधना करते हैं| योगी अपनी चेतना में साँस मेरुदंड में सुषुम्ना नाड़ी में लेते है| नाक या या मुंह से ली गई साँस तो एक प्रतिक्रया मात्र है उस प्राण तत्व की जो सुषुम्ना में प्रवाहित है| जब सुषुम्ना में प्राण तत्व का सञ्चलन बंद हो जाता है तब साँस रुक जाति है और मृत्यु हो जाती है| इसे ही प्राण निकलना कहते हैं| अतः अजपा-जप का अभ्यास नित्य करना चाहिए|

Tuesday, 5 September 2017

चट मंगनी पट शादी के लिए अजमाए ये उपाय


1. हर महीने के दो पक्ष होते हैं कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार को भगवान शिव का व्रत रखें।
2. कन्या के विवाह की चर्चा करने उसके घर के लोग जब भी किसी के यहाँ जायें तो कन्या खुले बालों से,लाल वस्त्र धारण कर हँसते हुए उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे| विवाह की चर्चा सफल होगी|
3. मंत्रों द्वारा भी कन्या विवाह बाधा दूर कर सकती है। मंत्र है ‘ओम कात्यायनि महामाये। महायोगिन्यधीश्वरि।। नन्दगोपसुते देवी। पतिं मे कुरु ते नमः।। इस मंत्र से न केवल विवाह बाधा दूर होती है बल्कि इच्छित वर की भी प्राप्ति होती है।
4. शीघ्र विवाह के लिए सोमवार को १२०० ग्राम चने की दाल व सवा लीटर कच्चे दूध का दान करें| यह प्रयोग तब तक करते रहना है जब तक कि विवाह न हो जाय|
5. ये उपाय लड़को के लिए कारगर है, मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी की पूजा करें और उनके माथे से थोड़ा सा सिंदूर ले जाकर भगवान राम और देवी सीता के चरणों में अर्पित करते हुए शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें। 21 मंगलवार तक इस उपाय को करने से विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं|
6. सोमवार के दिन एक किलो 200 ग्राम चने की दाल और सवा लीटर दूध किसी जरुरतमंद को दान करें।यह उपाय तब तक करना चाहिए जब तक कि आपका विवाह तय नहीं हो जाता है। ये उपाय लड़का और लड़की दोनों के लिए है ।
7. जिस भी कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो वह एक आसान सा उपाय कर सकती हैं। किसी भी पूर्णिमा तिथि के दिन वट पक्ष की पूजा करें।पूजा के बाद शीघ्र विवाह की कामना मन में लिए हुए 108 बार वृक्ष की परिक्रमा करें।
8. प्रतिदिन प्रातः काल स्नान करके मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति की लाल फूल से पूजा करें। इसके बाद “पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम‍्। तारिणीं दुर्गसंसार सागरस्य कुलोद‍्भवाम‍्।।” मंत्र का कम से कम 5 माला जप करें। इस उपाय से शीघ्र विवाह भी होता है और जीवनसाथी के साथ मधुर संबंध बना रहता है।
9. जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोडा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है ।
10. अगर किसी का विवाह, कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ मंगलवार के दिन तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए. इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है !



शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने, निरोगी रहने के सिद्ध अचूक उपाय / टोटके :----


शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने, निरोगी रहने के सिद्ध अचूक उपाय / टोटके :----

जिस घर में जब कोई रोग आ जाता है तो उस रोगी के साथ साथ उस घर के सभी व्यक्ति भी मानसिक रूप से चिंता और आशांति का अनुभव करने लगते है , लेकिन कुछ छोटी छोटी बातो को ध्यान में रखकर हम हालत पर काबू पा सकते है , शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते है ।
1.यदि आपके परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तो अगर संभव हो तो उसे सोमवार को डॉक्टर को दिखाएँ और उसकी दवा की पहली खुराक भगवान शिव को अर्पित करके कुछ राशी भी चड़ा दें और रोगी व्यक्ति के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करें , व्यक्ति के बहुत जल्दी ही ठीक हो जाने की सम्भावना बन जाती है ।
2.हर पूर्णिमा को किसी भी शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ से अपने परिवार को निरोग रखने की प्रार्थना रखें ,तत्पश्चात मंदिर में और गरीबों में कुछ ना कुछ फल,मिठाई और नगद दान अवश्य दें ।
3.रोगी व्यक्ति को मंगलवार और शनिवार किसी भी दिन हनुमान जी की मूर्ति से सिंदूर लेकर उसके माथे पर लगाने से उसका दिल मजबूत होता है और रोगी जल्दी स्वस्थ भी होता है ।
4.यदि कोई बीमार व्यक्ति प्रात: काल एक गिलास पानी लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खड़े होकर एँ मन्त्र का 21 बार जाप करके पी जाय एवं ईश्वर से अपने रोग को दूर करने के लिए प्रार्थना करें तो शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। यह प्रयोग सोमवार से शुरू करके रविवार तक लगातार 7 दिन तक करना चाहिए ।
5.अशोक के वृक्ष की ताजा तीन पत्तियों को प्रतिदिन प्रातः चबाने से चिंताओं से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहता है ।
6.यदि किसी बीमार व्यक्ति का रोग ठीक ना हो रहा हो तो उसके तकिये के नीचे सहदेई और पीपल की जड़ रखने से बीमारी जल्दी ठीक होती है ।


मंगल ग्रह को कुंडली ;---



मंगल ग्रह को कुंडली में सबसे अहम स्थान दिया है। लाल किताब कुंडली (Lal Kitab Kundali in Hindi) द्वारा यही ग्रह जीवन में शुभ-अशुभ कार्यों का कारक होता है। 
मांगलिक दोष (Manglik Dosha) 
कुंडली में मांगलिक दोष (Mangalik Dosh in Kundali) का अध्ययन भी मंगल ग्रह की दशा को देखकर ही किया जाता है। अगर कुंडली में मंगल दोषयुक्त हो तो यह शादी-ब्याह में अड़चने पैदा करता और वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर देता है। विवाह के पश्चात भी अगर मंगल दोष मुक्त ना हो तो नौबत तलाक या संतान प्राप्ति में गंभीर समस्याएं दिखाता है। 

मंगल ग्रह के उपाय और टोटके (Lal Kitab Remedies and Totke in Hindi)
अगर कुंडली में मंगल की स्थिति अच्छी ना हो जातक को एक सुयोग्य पंडित द्वारा इसका उपाय कराना चाहिए। कई जानकार मानते हैं कि मंगल ग्रह (Lal Kitab remedies for marriage) के उपाय करने से शादी में आ रही परेशानी को दूर हो जाती है। मंगल ग्रह के कुछ आसान उपाय निम्न हैं के लिए भी यह उपाय कारगर होते हैं लाल किताब के आसान उपायों या टोटकों का इस्तेमाल करना चाहिए, जो निम्न हैं:
* लाल किताब कुंडली (Lal Kitab Kundali in Hindi) में अगर मंगल प्रथम भाव में नीचा यानि उचित फल देने वाला ना हो तो ऐसे जातकों को ससुराल से कुत्ता नहीं लेना चाहिए। शरीर पर सोना धारण करना चाहिए। 
* दूसरे भाव में मंगल ग्रह के उत्तम फल पाने के लिए भाइयों का सदा आदर करना चाहिए। 
* तीसरे भाव में मंगल ग्रह की पीड़ा शांत करने के लिए अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए और हमेशा सबसे प्यार से बात करना चाहिए। 
* अगर चौथे भाव में बैठे मंगल के कारण आपको परेशानी हो रही है तो वटवृक्ष की जड़ में मीठा दूध चढ़ाएं। अपने पास सदैव चांदी रखें, अंधजनों या जिनकी एक आंख हो उनसे दूरी बनाएं रखें तथा चिड़ियों को दाना डालें। 
* पंचम भाव में मंगल की पीड़ा शांत करने के लिए जातक को रात को सर के पास पानी रखकर सोएं और इस जल को सुबह पेड़ में डाल दें, पिता के नाम पर दूध का दान करें तथा पराई स्त्री से संबंध बनाने से बचें। 
* छठे भाव में मंगल ग्रह के शुभ फल पाने के लिए जल, चांदी और तेल का दान दें, शनि को शांत करने के उपाय करें तथा पुत्र को कभी सोना न पहनाएं। 
* लाल किताब के अनुसार सातवें भाव में अगर मंगल ग्रह से आपको हानि हो रही हो तो घर में ठोस चांदी रखें, तोता-मैना या कोई अन्य पक्षी ना पालें तथा जब भी बहन घर आए उसे मिठाई दें। 
* आठवें भाव में मंगल ग्रह के अशुभ परिणामों को कम करने के लिए विधवा स्त्रियों की सेवा करें और गले में चांदी की चेन पहनें, तंदुरी मीठी रोटी कुत्ते को 40 या 45 दिन तक खिलाएं। 
* नौवें भाव में मंगल ग्रह की पीड़ा शांत करने के लिए या इनके दुष्परिणामों से बचने के लिए भाभी की सेवा करें और बड़े भाई के साथ रहें तथा दूध, गुड़ और चावल का मंदिर में दान करें। 
* दसवें भाव में मंगल ग्रह की पीड़ा शांत करने के लिए जमीन जायदाद और सोना-चांदी कभी ना बेचे, हिरण पाले, संतानहीन लोगों की मदद करें तथा ध्यान दें कि दूध कभी उबलकर ना गिरे।
* अगर लाल किताब कुंडली में मंगल 11वें भाव में है और जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो पैतृक संपत्ति कभी ना बेचे, पहली संतान के जन्म पर कुत्ता पालें तथा घर में शहद रखें। 
* लाल किताब ज्योतिषी और जानकार बारहवें भाव में बैठे मंगल ग्रह की पीड़ा या अशुभ फलों को कम करने के लिए अपने दिन की शुरूआत शहद के साथ करें, मीठा खाएं और दूसरों को भी खिलाएं तथा अतिथि सत्कार में पानी की जगह शरबत या दूध पिलाएं।



Monday, 4 September 2017

वशीकरण क्रिया मैं क्यों सफलता नहीं मिलती है :-------

वशीकरण क्रिया मैं क्यों सफलता नहीं मिलती है :-------

सवागत है आपका मेरे ब्लागस्पाट पर

मैं सनी शर्मा फिर से हाज़िर हूँ एक बार नई पोस्ट के साथ बहुत से लोगो के मैसेज आने पर यह आज मैं मैं लिख रहा हु की नेट पर यूट्यूब और बहुत से ब्लागस्पाट है कई मंत्र डालें है नेट ,६ कर्मा के मंत्र है नेट पर और आजकल तो सबसे जायगा यूज़ होता है वो वशीकरण है ! क्यों नहीं हो पाता  है वशीकरण पूरी क्रिया और मंत्र करने के बाद बी कहा पर चूक होती है !

कई सादक बी है जो पहली बार मैं सफल नहीं ह पाते है इसका रीज़न क्या है क्यों ऐसा होता है !

वशीकरण एक ऐसी क्रिया है जिसको सब पूर्ण रूप से नहीं पा सके है ! उसका रीज़न यह है के कोई बी मंत्र हम सभी जब करते है तो हमारी बॉडी के अंदर एक तरंग पैदा होता है !(फीलिंग) बी कह सकते हो ! जिस बी के लिए यह क्रिया की याता है बार बार उसका नाम और मन मैं और खुद के दिमाग मैं उसकी शबी पर ही ध्यान लगया जाता है  उस क्रिया के दुराण ! पर कुछ महा पुरष ऐसे बी है की उनका ध्यान बहुत ही बढ़िया लगता है ! वो उस परबु की भगित मैं लील हो जाते है और वो अपने विचारो को मार कर आगे प्रस्थान करते है ! लेकिन नेट से मंत्र उठा कर जो लोग करते है चाहिए वो टोटका है जा कोई क्रिया जा मंत्र है जा ही यन्त्र है वो तब तक काम नहीं करता है जब तक की आपका खुद के मन पर कण्ट्रोल नहीं होगा ! क्युकी

हमारे दोवारा जो बी क्रिया की जाती है वो आपके विश्वास गुरु की भगति और अपने मन की विचारधारा पर देपेंद करती है !क्युकी अगर किसी के मन मैं यह बात आती है मैं कर सकता हूँ तो वो सफल हो जयगा क्युकी वो अपने मन मैं उस टाइम नेगटिव विचार आने ही नहीं देता है ! इसलिए वो सफल हो जाते है जिनके विचार आते है होगा नहीं होगा के नहीं होगा  वो फ़ैल हो जाते है क्युकी कोई बी काम ध्यर्पूर्बक ही होता है जल्द वाज़ी मैं कुछ नहीं होता है !

इम्पोर्टेन्ट बात है मेरा खुद का एक्सपेरिंस है यह :---- खुद के मन के विचार ही आपके क्रिया की काट कर देते है वही आपका काम नहीं होने देते है ! सो पहले मैडिटेशन करो आप पहले ! पहले-2 प्रॉब्लम होगी जो विचार आता है आने दो कुछ टाइम बाद आप के कट्रोल अपने आप आने लगेगा ! उस टाइम करना आप कोई बी क्रिया सफलता मिलगी आपको १००% क्युकी किताब का ज्ञान नहीं है यह क्युकी इस मार्ग मैं था मैंने बी आपके जैसे किया था पर सफलता नहीं मिली थी आज समझ गया हूँ आप कोई गलती न करो इसलिए मैंने यह ब्लॉस्पॉर्ट और यूट्यूब चैनल बनाया है जिसको विश्वास है वो पढ़े अच्छा लगे वो सब्सक्राइब करे ब्लॉस्पॉट और यूट्यूब चैनल को फ-बी पेज को और कमेंट बी करना जिसको मेरा पोस्ट सही लगे  नहीं ट्रस्ट है कोई बात नहीं मैं तो अब हर वो चीज़ यहाँ पर लिखुगा जो मैंने देखि है फील की है ! बाकि सोच समझ अपनी अपनी किसी से जोर जबरस्ती नहीं है !

Sunday, 3 September 2017

टोना टोटका तंत्र बाधा निवारण मंत्र-----

टोना टोटका तंत्र बाधा निवारण मंत्र-----

आज यह भी देखने को मिलता है कि कुछ दुष्ट लोग किसी टोना करने वाले से कोई प्रयोग करा देते है और लोग भयानक कष्ट भोगने लगते है।

दवा करने पर भी लाभ नहीं मिलता है,तब इस मंत्र को ११ माला से सिद्ध कर प्रयोग करे।लोग जादू टोना से प्रभावित होकर विक्षिप्त भी हो जाते है।किसी शुभ मूर्हूत मे ईस मंत्र का प्रयोग करें।एक दीपक जलाकर किशमिश का भोग लगा कर मंत्र सिद्ध करे,फिर प्रयोग करते समय ७बार मंत्र पढ़ फूंक मारकर उतारा कर दें।ऐसा ७बार कर देने पर सभी जादू टोना नष्ट हो जाता हैं।बाद मे एक सफेद भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से अनार के कलम से मंत्र लिख ताँबा या चाँदी की ताबीज मे यंत्र भरकर काला धागा लगाकर स्त्री हो तो बांया पुरूष हो तो दांये बांह मे ७बार मंत्र पढ़ बाँध ले।

शाबर मंत्र--------

ॐ नमो आदेश गुरू को।ॐ अपर केश विकट भेष।खम्भ प्रति पहलाद राखे,पाताल राखे पाँव।देवी जड़घा राखे,कालिका मस्तक रखें।महादेव जी कोई या पिण्ड प्राण को छोड़े,छेड़े तो देवक्षणा भूत प्रेत डाकिनी,शाकिनी गण्ड ताप तिजारी जूड़ी एक पहरूँ साँझ को सवाँरा को कीया को कराया को,उल्टा वाहि के पिण्ड पर पड़े।इस पिण्ड की रक्षा श्री नृसिंह जी करे।शब्द साँचा,पिण्ड काचा।फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।

नोट:------------

शाबर मंत्र सबसे जल्दी फलित होते है और जल्दी काम करते है लेकिन गुरु कृपा होणु जरूरी है पहले आप गुरु मंत्र को सिद्ध कर लेना फिर ही कोशिश करना ! 

शुभ मूरत मैं आप इसको सिद्ध कर सकते हो लगातार ११ माला करनी है बिना रुके उठे और उसके बाद १ माला का हवन करना है ! 
१) इष्ट देवता और पितरो को याद करना !
२)गणेश पुंजन 
३) गुरु मंत्र 
और धूपदीप तो आपको पता है और मीठी चीज़ भोग मैं देना है बाकि जिस जिस देवता का नाम मंत्र मैं आता है सबको एक बार पहले ही याद कर लेना है ! और मंत्र की पावर और बड़े उसके लिए ाममासिया को १ माला करनी है आपको मंथ मैं एक बार फिर इस मंत्र को चला कर देखना आप ! और जरूरी नहीं है के आप पहले बार मैं ही सफल हो जाओ जो बाँदा बार बार कोशिश करता है वही आगे जाता है ! सो गुरु बिना कुछ नहीं गुरु से आज्ञा ले कर करना ! १०८ जाप से बाद काम करेगा यह और २१ दिन की साधना बी कर सकते हो आप इसकी बस आपको सूबा एक शाम को १ माला करनी है वैसे ही रूल ! साधना काल मैं घृस्त जीवन को छोड़ना है जितने दिन की साधना होती है ! क्युकी  दोनों चीज़े साथ मैं नहीं हो सकती है ! 

आदेश आदेश श्री शम्भू यति गोरखनाथ जी महाराज को !!!! 
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Saturday, 2 September 2017

यह मेरे साथ हुआ था जब मैं नाथ पथ मैं था तब मैंने शमशान जाना सुरु किया था ! (sunny sharma) blogspot :---

यह मेरे साथ हुआ था जब मैं नाथ पथ मैं था तब मैंने शमशान जाना सुरु किया था !
sunny sharma 

दोस्तों मैं आपका सनी शर्मा और मैं आप सभी का अभृ हूँ अब सभी मेरे ब्लॉस्पॉट को अच्छे से पढ़ते हो मुझे ख़ुशी है यह बेलोस्पोट मैं अपनी ईशा से बनने है ता की मैं यहाँ पर अपने एक्सपेरिंस को अपने साथ शेयर कर स्कू क्युकी जो बी बाँदा इस मार्ग पर चलेगा कही न कही उसके साथ बी यह सब घटित हो सकता है !

सो मेरे भाइयों मुझे याद है वो चीज़ जब मैं पहेली बार शमशान मैं गया था तो मेरे गुरु जी बी मेरे साथ मुझे बहुत डर लग रहा था उस टाइम क्युकी अमावस्या का दिन था उस दिन ओर कुछ अघोरी यहाँ पर चीता पर बैठे कर कोई साधना कर रहे थे ! मैंने देखा सबको और मेरे गुरु जी ने मुझे मिलव्या एक अघोरी जी से वो वह पर उस टाइम कोई साधना कर रहे थे ! और वहां पर कही लोगो का नाम करण बी हो रहा हो जो के अघोर पंथ से दीक्षित थे ! तो आगे चले गए मैं और मेरे गुरु देव जी वहां पर और मेरे गुरु जी ने वहा पर एक क्रिया की थी वो की काली माता जी की थी ! मेरे अनुभूत है वो क्रिया क्युकी वो किसी किताब जा नेट पर नहीं है ! क्युकी वो मेरे गुरु जी को बाबा गोरखनाथ जी दी थी ! उनोने वहा वो क्रिया की मैं बी साथ मैं था हम ७ पं  को एंटर हुए थे ! शमशान मैं रात वही पर रुकना था हम ने , तभी मेरे गुरु जी ने मुझे एक चीता से भसम उठा कर दी और बोले इसको अपने माथे पर लगा कर गुरु  मंत्र का जाप सुरु करो इस चीता के ७ परिक्रमा करो और उलटे हाथ वापिस आ कर ७ कदम चीता से दूर हो कर उसके सामने बैठे जाओ और अपना काम सुरु करो ! दोस्तों यह मेरे ज़िन्दगी के सबसे खतनाक और आखरी रात थी क्यों एक दिन की ही क्रिया ही थी वो,मैंने गुरु मंत्र का लग भग जाप किया ३ घंटे हो गए थे वही बैठे हुए मुझे और उसके बाद मुझे एक मंत्र दिया गया एक इसको करना है आपको मैंने उस मंत्र को सुरु किया ! ११ माला देनी थी मुझे मेरे गुरुदेव ने बोला के तुम इसका जाप आंखे बंद करके दो ध्यान इदर उदर न हो तेरा मैं भोग और क्रिया खुद सम्भाल लुगा मुझे याद है वो काली रात २ ऍम तक वही बैठे रहे भूके प्यासे हूँ दोनों सभी चलेंगे वहा से मैं और मेरे गुरदेव ही थे ! लेकिन उस साधना काल मैं मैंने प्रत्यक्षीकरण किया  भूत प्रेत योनि का साधना काल मैं मेरे सर पर मेरे गुरु का हाथ था ! लेकिन मुझे डर बी बहुत लग रहा था जाप के दौरान मुझे मेरे नाम से आवाज़े आने लगी ऐसा लगा कोई काला साया आया है मेरे पास उसके हाथ मैं एक खंजर था और साधना काल मैं उसने मुझे पूरा डराया वो मुझे मारने लगी थी ओर मैं आंतरिक ध्यान मैं था उस टाइम मैं भाग रहा था ! मेरे साथ उस टाइम ऐसे लगा जैसे मेरे गुरु जी बी नहीं है ! पूरी दुनिया मैं अंधकार था उस टाइम मैंे अकेला था वो बी अकेली थी लेकिन गुरु कृपा हुई मुझ पर साक्षात् दर्श हुए उस टाइम मुझे ! वो मेरे गुरु जी के देन थी मुझे एक मुझे उस टाइम ही उनोने दर्शन करवा दिए थे मुझे शमशान काली थी वो जो आज बी मेरे साथ माता भगवती के रूप मैं है ! उस रात जब मैं सोया ३ ए म के बाद तो मुझे लगा जैसे मैं मर गया हूँ मेरे बॉडी मैं से मुझे मेरे आत्मा बहार निकलती हुई दिखी  मैंने खुद अपने शरीर को मृत अवस्ता मैं देखा ! पर सूबा सब तक सब ठीक हो गया फिर कबि ऐसे रूप मैं मेरे पास नहीं वो प्यारी है माता रानी माता के रूप मैं आती है ! यह मेरा एक्सपेरिंस है किताबी किर्या नहीं है क्युकी गुरु बिना कुछ नहीं गुरु बिना ज्ञान बी नहीं है इसलिए मैं बोलता हूँ व्हाट्सअप जा फेसबुक पर ऑनलाइन कोई दीक्षा नहीं होती है मंत्र गुरु जी के पास जा कर कान मैं लो आप सभी !

ॐ नमः शिवाये
अलख आदेश शिर शम्भू यति गोरखनाथ जी महाराज को आदेश आदेश !!
जय हो मेरे सच्ची ११ वाली सर्कार ख्वाजा गरीबनवाज़ !!
जय जय मेरे सिद्ध योगी बाबा बालक नाथ जी की !!
जय हो मेरे माता रानी की !!

सनी शर्मा
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पित्र दोष निवारण के कुछ खास उपाय / टोटके :----

पित्र दोष निवारण के कुछ खास उपाय / टोटके :----


1. याद रखे घर के सभी बड़े बुजर्ग को हमेशा प्रेम, सम्मान, और पूर्ण अधिकार दिया जाय , घर के महत्वपूर्ण मसलों पर उनसे सलाह मशविरा करते हुए उनकी राय का भी पूर्ण आदर किया जाय ,प्रतिदिन उनका अभिवादन करते हुए उनका आशीर्वाद लेने, उन्हे पूर्ण रूप से प्रसन्न एवं संतुष्ट रखने से भी निश्चित रूप से पित्र दोष में लाभ मिलता है । 
2.अपने ज्ञात अज्ञात पूर्वजो के प्रति ईश्वर उपासना के बाद उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखने उनसे अपनी जाने अनजाने में की गयी भूलों की क्षमा माँगने से भी पित्र प्रसन्न होते है । 
3. सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बना, पितरों को अर्पित करने से भी इस दोष में कमी होती है ।
4. सोमवती अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ पर मीठा जल मिष्ठान एवं जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुए कम से कम सात या 108 परिक्रमा करे तत्पश्चात् अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है।
5.प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी खिलाने चाहिए।
6. अमावस्या को बबूल के पेड़ पर संध्या के समय भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है।
7. प्रत्येक अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन कराने व दक्षिणा वस्त्र भेंट करने से पितृ दोष कम होता है । 
8. पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन शिव लिंग पर जल चढ़ाकर महामृत्यूंजय का जाप करना चाहिए ।
9. माँ काली की नियमित उपासना से भी पितृ दोष में लाभ मिलता है।
10. आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हो घर में भोजन बनने पर सर्वप्रथम पित्तरों के नाम की खाने की थाली निकालकर गाय को खिलाने से उस घर पर पित्तरों का सदैव आशीर्वाद रहता है घर के मुखियां को भी चाहिए कि वह भी अपनी थाली से पहला ग्रास पित्तरों को नमन करते हुये कौओं के लिये अलग निकालकर उसे खिला दे।




तंत्र मंत्र मैं जब मैं गया तो मेरे गुरु जी दोवारा दीक्षा होने के बाद मेरे अनुभूति जब आप सभी बी करोगे तो आपके साथ बी यही होना है (Sunny Sharma) :---------

तंत्र मंत्र मैं जब मैं गया तो मेरे गुरु जी दोवारा दीक्षा होने के बाद मेरे अनुभूति जब आप सभी बी करोगे तो आपके साथ बी यही होना है  :---------

साधना काल मैं जब मैं गुरु मंत्र का जाप लगाना सुरु किया तो बहुत कुछ देखना सुरु हुआ था इसका असर तो मुझे पहले दिन से सुरु हो गया था क्युकी मैं इस शेतर मैं नया नहीं था मैं पहले से ही भगति और अघोर क्रिया करता था तो मुझे सफलता जल्दी ही मिल गयी थी ! पर साधना काल मैं पहला एक्सपेरिंस यह होता है गुरु के दोवारा मंत्र लेने के बाद मैं जब उसको निरंतर जप करते हो तब तब वैसे ही आपके सामने के रस्ते सुगम होते जाते है !

जैसे के सिद्ध पुरसो का अपने स्वपन मैं आना
कोई तीर्थ स्थान देखना
निर्जीव दिखने
अपने अपने घर के मामलो मैं आपको कुछ बातो का पहले से पता होना
किसी डरावनी चीज़ के दोवारा आपको तंग करना !

यह कुछ पोंइट है लिखने को तो बहुत कुछ है वैसे तो मेरे पास पर यह सब रियल है क्युकी यह मेरे दोवारा अनुभूत है भाई क्युकी किताब मैं बस तो मंत्र है ! लकिन मेरे पास ऐसे क्रिया है जो किसी के पास नहीं है कुछ तो गुरु मुख से मिली है मुझे और कुछ मुझे खुद के मेहनत से प्रपात हुई है ! इसलिए यह ब्लागस्पाट मैंने तो इसलिए बनाया है क्युकी यहाँ पर कुछ ऐसे चीज़े दुगा जिससे ऐसा तो नहीं है ५ % बी फरक न पड़े मैं अपने ब्लॉस्पॉट पर पूरी कोशिश करुगा जो बी यह पड़ेगा वो मुझे स्पोर्ट करे बस मुझे पैसे से मतलब नहीं है ! क्युकी मेरा काम तो देना ही यहाँ पर म्हणत आपकी होगी और कही न कही उसका फल मुझे बी मिलगा बस आप सभी मेरे लिए फर्याद करना कोई बी साधना करो मेरे वाली उस से पहले मेरे लिए प्रे लगाना एक इन पर सदा अपनी कृपा बनाये रखना !

अब आता हूँ अपने टॉपिक पर मैं वापिस जब मैंने साधना सुरु की थी गुरु जी के बातये हुए रस्ते पर चलना सुरु किया तो बहुत कुछ देखने को मिला मुझे बहुत कुछ इतना तो लोग घूम कर नहीं देख पते है जितना मैं रत को सोते टाइम देख लेता हूँ यह सब आपके साथ बी हो सकता है बस आपको २४ घंटो मैं से बाबा के लिए २४ मिंट डेली निकलने है ! बस नाम लेना है ! मैंने जब सुरु सुरु मैं गुरु मंत्र किया तो सबसे पहले आपको गुरु जी के ही दर्शनः होते है लेकिन उसके बाद आपको चिता, सहशाम घाट , और कुछ सूक्षम जीव जातु देखे देते है जैसे वो आपके पिच भाग रहे है आपको बचना है उन से यही उस परमात्मा की लीला है वो डराता है के यह बाँदा मेरा नाम लेना छोड़ दे लेकिन मैं बोलता हूँ आप लगे रहे हो ! सपने मैं ही होगा जो कुछ होगा क्युकी परितक्षिकरण ले लिए आपको १२ से २५ साल लगते है जब आपको लाइव देखती है वो सारी चीज़े सो डरना नहीं है अगर तंत्र मंत्र मैं जाना है ! क्युकी सबसे बुरा यह कलयुग है ! क्युकी यहाँ पर दिखता कुछ और है होता कुछ और है इसलिए वह पर जो दिखता है वही रियल होता है और उसके देखने के लिए गुरु कृपा का होना बहुत जरूरी है ! इसलिए नेट पर कबि बी आपको गुरु नहीं मिलगा ! मैंने अपने यूट्यूब चैनल पर पहले ही बतया है के आप सभी अपने इष्ट देवता की पूजा करना सुरु करो आरती करो सेवा लगो ३ माह मैं आपको कुछ न कुछ फील होने लगेगा ! ऐसा जैसे की

किसी का आरती करते हुए दिखना
मंदिर जा घंटी की आवाज़
अपने मन मैं के दर पैदा होना
रत को नींद काम आना
आपको ऐसा लगना के अपने पीछे कोई खड़ा है !

तो मेरे प्यारे बही और बहेनो यह सब आपकी पूजा का फल है ! अछि बात है के आपकी पुकार उन तक पंच रही है इसलिए सच तन मन से सेवा करो आप सभी !

सनी शर्मा (पंजाब)
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बस मैं यही कहना चाहता हूँ आप सभी मेरे पोस्ट पढ़ो मुझे लिखे की जरूरत नहीं है ! बस पूरा पढ़ो और समझो फिर कोई फैसला करो और कोशिश करो मैं तो आप सभी के साथ हूँ ! यहाँ यहाँ पर आपको पॉब्लम होगी मैं बाबा जी के हुकुम लगा दुगा वो खुद निकला देंगे आपको आगे ! बस आप सभी मेरे चैनल और सब्सक्राइब करो और जितना हो सकता है शेयर करना ! क्युकी मैं सच्चा भगत हु धीरे धीरे ही सब कुछ होता है अचानक से नहीं ! बस टाइम के साथ तन मन खुद शाट हो जयगा आप खुद रास्ता ढूंढ़ने लगोगे फिर उस मालिक की किरपा से !

ॐ नमः शिवाये
श्री शभु यति गोरखनाथ महाराज जी को आदेश आदेश
जय जय ११ वाली सर्कार
मैं मेरे माता रानी की
जय जय कर सिद्ध योगी बाबा बालकनाथ !!!!

Friday, 1 September 2017

साधना से पहले यह करे :----


सतनाम आदेश सतगुरु जी को आदेश आदेश आदेश
गोरख बाणी :---
जैसे तैसे सिमरो मुझको मैं बैठु तेरे पास
गुरु कृपा होगी तुज पर पहले ले लो माँ बाप का आशिर्बाद सच्चा हो सच बोलो कर तू मेरी जय जय कार फिर आज देख और कल देख बनते है कैसे तेरे सारे काम जय गुरु गोरखनाथ !!!
आज बहुत टाइम बाद कुछ लिखने का मन हुआ तो लिख रहा हूँ मैं यहाँ बहुत से संत महा पुरष है फेसबुक पर मेरा किसी से लेना देना नहीं है न ही मुझे जरूरत है किसी की एडवाइस की क्युकी मुझे ट्रस्ट है अपने गुरु पर और मेरा विस्वास ही मेरी सफलता ता एक जरिया है ! एक इंसान क्या इंसान की मदद कर सकता है ! आज का इंसान भूका है तन्न का और पैसे का यहाँ पर मुझे मैसेज आते है क्या लड़किया जा कोई विवहित इस्त्री जो के सीखना चाहती है लेकिन कुछ महा पुरष समर्पण मांगते है उनसे उनकी बॉडी का (सम्भोग) वो बोलते है इस क्रिया से मैं और पावरफुल और आपको बी पावर मिलगी और मैं पावर दुगा जो इस्त्री ऐसा करेगी वो सिर्फ उन पापी की तन दे रही है और कुछ नहीं ऐसे गुरु होने से अच्छा है आप राम राम ही जप लो !!!
मैं सनी शर्मा पंजाब से हूँ मैंने बी सीखने के लिए बहुत धके खाये है क्युकी रियल गुरु वहटसअप,फेसबुक,गूगल पर नहीं मिलते है ! और दीक्षा ऑनलाइन नहीं होती क्युकी मैं पोस्ट पढता हूँ ! सब बोलने वाली बात है इतना आसान नहीं है ! यह सब बाद की बात है पहले गुरु कृपा तो पा लो फिर कोई शक्ति आपके साथ चलती है मैं यहाँ जितना बी लिखता हूँ मेरे मन के बात है यह किताब जा नेट पर नहीं मिलगा यह सब !
साधना :----------------------------
अगर सच मैं उस परम पिता को देखना है तो सबसे पहले खुद पर कण्ट्रोल करना सीखो सेक्स (सम्भोग) यह प्रभु को पसंद नहीं है कबि कबि ठीक है लेकिन हर इस्त्री से नहीं अपनी अर्धांगी से (पत्नी) से ही इस से आपकी भगति का फल आपकी वाइफ (पत्नी) को बी मिलता है उसको बी अनुभूति होती है !
१) सबसे पहले आपके इष्ट की पूजा और सेवा !
२)पितरो की पूजा और उनसे मांगना !
३) खुद की वृति को खुद कण्ट्रोल करना!
४) सम्भोग से दूर रहना !
५) सच मार्ग और प्रभु सिमरन जब बी फ्री हो !
६) दीप,दूप, आसान पर माला फेरना !
७) घर का खाना ,मास ,मदिरा से दूर !
८) जितना हो सके काम बोलो बोलना बी है तो सिमरन !
८) किसी का बुरा सोचना बी नहीं न करना कबि !
१०) खुद मैं मालिक की मस्ती मैं मस्त हस्ते रहो साथ जो देना है जो लेना है अपने मेरे मालिक !
११) गुसा नहीं करना आता है प्रभु सिमरन !
यह कुछ मैं बातें है तंत्र मंत्र मैं जाने की सुरु सुरु मैं मुश्किल होती है केकिन धीरे धीरे आपके इष्ट देवता और आपके पितृ देवता (प्रोत) आपको सफलता जरूर देंगे यह मेरा विश्वास है ! पहले यह सब जरूरी है उसके बाद योगये गुरु और उनसे मंत्र लेना है आपको भाई / और देवियों ऑनलाइन नहीं व्हाट्सअप पर जा फेसबुक पर नहीं ! गुरु पूर्णिमा को उनके पास जा कर वो होती है दीक्षा आपकी ऐसे नहीं !!!!!!
नोट :---------------------------------------------
वशीकरण के पीछे मत भागो सबसे जयदा मैसेज इसके ही आते है मुझे अगर प्रेम करना है तो अपने माता पिता और अपनी बहनो से करो आप सभी और माता की सेवा मैं ही जनत है माता की दुआ कबि ऐसे नहीं जाती पिता का आशिर्बाद ही आपको सफलता देता है आज के लिए इतना ही मैं आपका छोटा सॉ भगत सनी शर्मा पंजाब से रियल मैं तंत्र मंत्र और अनुभूति पर ही कुछ लिखता हूँ मैं अलख आदेश नाथ जी को जय हो मेरे ११वाली सर्कार जय हो मेरे नाथ के नाथ महाकाल जय हो मेरे दुदा धारि बाबा बालक नाथ जी की !!!
सनी शर्मा ( पंजाब)
पेज नाम :-- नाथ पंथ ( NATH PANTH )
मैं जल्दी ही दुगा जन कलियाँ के लिए गुरु मंत्र बी दुगा जो न की कितन का होगा और न ही नेट का होगा ! आसान पर बैठ कर ही माँगा है मैंने जैसे ही हुकुम लगा और मिला तो मैं वो मंत्र पोस्ट करुगा जिसका मन हो जिसको मुझ पर विश्वास है वो करे यह और फिर मुझे अपने अनुभव बातये प्रोसेस थोड़ा लम्बा है टाइम लगेगा लेकिन फल १०१% वो मेरे गारंटी है मेरा मंत्र ऐसे नहीं जायगा कुछ न कुछ तो कृपा करेगा ही बाकि आप सभी पढ़े लिखे हो समझदार हो मैं तो आपके जैसा ही हूँ करना करना उस मालिक ने है देने वाला वो है लेने वाला बी वही है मैं तो उसका चेला ( गुलाम) हूँ !!!

साधना विधि और अनुभति (२)

साधना विधि और अनुभति (२) :-------------------------------------------------------------------------------------------------------
गुरु मूर्ति गुरु दर्शन गुरु
गुरु साई नाथ मेरा सिमरु 
गुरु को जब जब हो मेरा 
कल्याण अलख आदेश 
नाथ के नाथ आदेश आदेश !
आज फिर मौका मिला है तो कुछ लिखने जा रहा हूँ मुझे बहुत से मैसेज आते की गुरु जी आप मुझे यह दो वो दे ! तो जब जब मैंने किसी के यह पूछा है के आपका गुरु कौन है तो बोलते है गुरु तो नहीं है बस ऐसे ही करे आप हमारे गुरु बन जाओ तो मैं उन सबको यह बता दू मैं तो एक छोटा सॉ नादान सॉ बालक हूँ मैं किसी का गुरु तो क्या मैं किसी को कुछ बताने के लाइक बी नहीं हु क्युकी हम सभी इंसान है मैं बी आपके जैसा हूँ पाप मैंने बी किये है जूठ बी बोलता हूँ आज के टाइम मैं और मेरे मन मैं बहुत से वृतियां आती है ! मैं तो बस जब जब मुझे टाइम मिलता है तब तब मैं उस परमात्मा का सच्चे मन से नाम लेता हूँ बाकि ज्ञान और अनुभूति देना उनका काम है मेरा उन पर अटूट विश्वास है तभी तो मेरे काम होते है !
नोट :-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
९९.९०% नेट पर जितने बी बाबा है सब फेक है पैसे के लिए काम करते है होना कुछ बी नहीं है ! क्युकी प्रभु बात उसकी सुनता है जो दिल से अच्छा और तन मन से सच्चा होता है ! बात पैसे की नहीं है पैसे लो आप लेकिन काम बी होना चाहिए न किसी दुखी की आत्मा को और सतोगे तो पाप के भागीदार बन जाओगे आप सभी ! सभी तंत्र मंत्र नेट के पोस्ट सरे कॉमन है रियल मैं मंत्र और जो विधि है वो यहाँ पर कोई पोस्ट नहीं करता है उसका रीज़न यह है के कही कल्याण की जगह पर पाप ही न हो जाये ! और गुरु नेट, व्हाट्सअप और गूगल ओर फेसबुक पर नहीं मिलते है ! उनको तो ढूंढ़ना पढता है और सेवा करनी पढ़ती है तभी गुरु कृपा होती है सही टाइम आने पर जब वो मालिक उनको हुकुम करता है तब आप उसकी शरण मैं जाते हो !
सेक्स (सम्भोग) :----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
और बही कितनी बार बोले चूका हूँ मैं यहाँ पर सम्भोग करना बुरी बात नहीं है परमतमा की देन है पर प्राणी यह किया करता है क्युकी संसार का नियम है जनम और मोत सो सेक्स से साधना मैं कोई दिकत नहीं अति है क्युकी आपकी बॉडी अशुद ही होती है और रेहगी बी इसका कुछ नहीं हो सकता है आपका मन शुद होना चाहिए आपकी लगन उस पिता को पाने मैं होनी चाहिए ! आपका ध्यान उस तरफ होना चाहिए ! जैसे जैसे उस मार्ग पर चलोगे खुद एक दिन सम्भोग बी छोड़ डोज आप जब आप पुराण रूप से भर जाओगे जगह खाली नहीं रेह्गे तो उस टाइम आपको उस परम पिता परमेश्वर के इलावा किसी और चीज़ की भूक नहीं होगी ! इस मई न जो लेखा है वो सिर्फ एक से हो तब सही है न की हर एक इस्त्री के पीछे भगाना ! उसके साथ ही जो प्रभु को आपको देन होगी आपकी पत्नी ही बस !
वीर्ये :-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------वीर्ये को रोकना ही खुद को साधना होता है ! सहना का मतलबा है यह नहीं है मंत्र पढ़ा हो प्रभु सामने हाज़िर है आपके प्रभु को पाना है तो खुद के इन्द्रियों पर कण्ट्रोल करना है जब मन करे यह करना है तो उसको उस और से हटा कर प्रभु की भगति मैं लगाना है यही करना है ! ५ तत्व से बना है आपका बॉडी (शरीर) तो उन पांच तत्व से ही आपका वीर्ये बनता है ! जीने मैं आपके संस्कार ,बानी, पाप ,जूठ सब कुछ सम्मिलित है ! इसको जितना जायदा अपने अंदर होल्ड (रोक) कर रखोगे उल्टी जायदा अनुभूति हो आपके आज्ञा चक्र मैं आपकी जो आकृति देखगी वो जल्दी से समझ और साफ होगी उतनी ! यह मेरा खुद का अनुभव है मैं सनी शर्मा पंजाब से हूँ अपना नाम इसलिए पोस्ट मैं देता हूँ क्युकी कुछ महा पुरष मेरा पोस्ट कॉपी पेस्ट करते है अपने नाम और नंबर के साथ ! और यह ज्ञान मेरे मन की बात है जो मेरा मालिक कही न कही मेरे अंदर है उसके शब्द है यह मुझे कुछ नहीं पता है होता है कही मैं मैं क्या लिख देता हूँ ! जितना बी लिखता हूँ सारा मेरे अनुभव पर अधिरत होता है !
समर्पण क्या है :-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

गुरु प्रति आपकी क्या भावना है कितना उन पर विश्वास है आपको गुरु जैसा बी हो आपको सेवा उनके चरणों की करनी है न की किसी और प्रकार की क्युकी मेरा एक्सपेरिंस तो एहि बोलता है की गुरु पदम् (चरणों ) मैं ही परमात्मा का बॉस होता है जितना गुरु मंत्र जपोगे आप सभी तो आपको एक दिन सपने मैं जा ऐसे ही आँखों के सामने गुरु जी के चरणों (पदम्) के दर्शन होते है ! और उन मैं से कुछ दिव्ये सख्ती प्रस्थान करती है तो आप समझ लेना आपकी भगति रंग ला रही है आप गुरु कृपा पाने मैं सफल हुए हो !
यह सब कुछ मेरे एक्सप्रिन्स पर अधिरत है न की किसी किताब के शब्द है बहकी का पोस्ट नेक्स्ट टाइम अभी लिए जय राम जी की अलख आदेश श्री शम्बू यति गोकरहनाथ जी को शिर बाला बालकनाथ जी को श्री श्री महाकाल जी को !
सनी शर्मा (पंजाब) 
पेज:- (NATH PANTH)
बाकि आप सभी मेरा पेज लाइक कर सकते है मैं जो बी दुगा कल को वो किसी किताब नेट , और आपको किसी गुरु मुख से बी नहीं मिलगा क्युकी वो सब कुछ मेरा परम पिता मुझको देता है और मेरा काम प्रचार करना है ! मेरा किसी बी साधु संत का अपमान करना और किसी बी धर्म का अपमान करना नहीं है क्युकी जैसे उस पानी,हवा और इस वता वरन का को मजब नहीं है वैसे ही परमात्मा बी एक है जैसे देखो गए वैसे हे दिखता है !!!!!!!

SHIV BABA शिव आराधना कब और कैसे करें


राहु सता रहा हो, मारकेश चल रहा हो, मृत्यु तुल्य कष्ट हो,विवाह न हो रहा हो, विवाह हो गया और विवाह में परेशानियां हो, मन अशान्त हो, मानसिक परेशानी हो, आर्थिक दिक्कत हो, समाज में सम्मान न मिल रहा हो तो शिव पूजा के उपाय किये जाते हैं परन्तु शिव पूजा कब की जाये और कैसे की जाये, यह हममें से बहुत कम लोग जानते हैं इसलिए शिव पूजा का फल नहीं प्राप्त होता है।
शिव पुराण के अनुसार शिव सिद्धि हेतु शिव-पार्वती संवाद :-
भगवन शिव ने पार्वतीजी से कहा :- "एकांत स्थान पर सुखासन में बैठ जाएँ. मन में ईश्वर का स्मरण करते रहें. अब तेजी से सांस अन्दर खींचकर फिर तेजी से पूरी सांस बाहर छोड़कर रोक लें. श्वास इतनी जोर से बाहर छोड़ें कि इसकी आवाज पास बैठे व्यक्ति को भी सुनाई दे. इस प्रकार सांस बाहर छोड़ने से वह बहुत देर तक बाहर रुकी रहती है. उस समय श्वास रुकने से मन भी रुक जाता है और आँखों की पुतलियाँ भी रुक जाती हैं. साथ ही आज्ञा चक्र पर दबाव पड़ता है और वह खुल जाता है. श्वास व मन के अल्प कालिक रुकने से अपने आप ही ध्यान होने लगता है और आत्मा का प्रकाश दिखाई देने लगता है. यह विधि शीघ्र ही आज्ञा चक्र को जाग्रत कर देती है.
फिर शिवजी ने पार्वतीजी से कहा :-
रात्रि में एकांत में बैठ जाएँ आँखों बंद करें. हाथों की अँगुलियों से आँखों की पुतलियों को दबाएँ. इस प्रकार दबाने से तारे-सितारे दिखाई देंगे. कुछ देर दबाये रखें फिर धीरे-धीरे अँगुलियों का दबाव कम करते हुए छोड़ दें तो आपको सूर्य के सामान तेजस्वी गोला दिखाई देगा. इसे तैजस ब्रह्म कहते हैं. इसे देखते रहने का अभ्यास करें. कुछ समय के अभ्यास के बाद आप इसे खुली आँखों से भी आकाश में देख सकते हैं. इसके अभ्यास से समस्त विकार नष्ट होते हैं, मन शांत होता है और परमात्मा का बोध होता है.
ऊँ नम: शिवाय का महत्व व जाप पूजा पद्धति :-
ऊँ नम: शिवाय का जप जब आद्रा नक्षत्र हो और चतुर्दशी तिथि हो तो जप अक्षत फलदायक होता है। शिव पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। दूसरी चीज जब आर्द्रा नक्षत्र हो और सूर्य की संक्रांति हो तो जप अक्षत फलदायक होता है। कोई भी समस्या हो, आपको फल मिलेगा लेकिन शिव पुराण में एक बात का और उल्लेख है कि कलयुग में कर्म भी करने पड़ेंगे। आपके कर्म निष्फल न हो इसलिए कर्म के समय जप करने से आपको भोले बाबा की कृपा प्राप्त होगी। हर नक्षत्र के चार पग होते हैं, मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम पग में आप जाप करते है तो हजारों समस्याओं से बच जाते हैं ।
पूजा का जो काल है उसी काल में पूजा करने से अद्भुत फल की प्राप्ति होती है। ब्रम्हा, बिष्णु और महेश के संवाद के जो अंश शिव पुराण में हैं, जो सूत जी हमारे सामने लाये थे, उन्ही के कुछ अशं मैं आपका बता रहा हूं। भगवान शिव को पुष्प और पुनर्वसु नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र या चतुर्दशी या प्रदोषकाल अत्यंत प्रिय हैं। पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम भाग में जप का विशेष महत्व है।
यदि आप केवल ऊँ का जप करते है तो भी अपूर्व फलदायक होता है। खासतौर से विद्यार्थियों के लिए और जो योगी है, सिद्ध है, ध्यान की गहराइयों में जाना चाहते हैं वह इन नक्षत्र में प्रणव का जप किया करें, अवश्य फल मिलेगा। शिव-साधना के लिए, किसी कार्य विशेष के लिए, शिवमय होने के लिए, मोक्ष की कामना के लिए या फिर आप किसी गंभीर समस्या में उलझ जायें या शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने का यही उचित समय है
इसके अलावा अध्यात्म या मोक्ष की कामना के इच्छुक लोगों को लिंग की पूजा करनी चाहिए। जो लोग अध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, अपने अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा चाहते हैं जिससे समाज के लोगों का कल्याण किया जा सकें, उन्हें शिवलिंग की पूजा अवश्य करनी चाहिए और गृहस्थ कार्यों के सम्पादन हेतु, गृहस्थ कार्यों की उन्नति हेतु मूर्ती की पूजा उचित है । अर्थात यदि आप कोई ऐसा कार्य करना चाहते हैं जिससे गृहस्थ जन की उन्नति हो तो शंकर जी की प्रतिमा की पूजा कीजिए और यदि अध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं तो शिवलिंग की पूजा कीजिए। यदि शिवलिंग स्वयं बना कर उसकी पंचोपाचार से या षोडषोपचार से प्राण-प्रतिष्ठा की जायें और उसकी नियमित पूजा की जाये तो उसका अद्भत फल मिलता है।
जब राहु या पितृदोष लग जाता है या केतु बहुत ज्यादा परेशान करता है, मंगल साथ नहीं देता है या जब कभी मारकेश लग जाता है तो हम सब जानते हैं कि पूरे घर की क्या हालत होती है। सब लोग बिखर जाते है, कुछ समझ में नहीं आता, कोई भी कार्य नहीं होता, लांछन लगते हैं, यहां तक सरकारी समस्या भी उठ खड़ी होती है। अनेक किस्म की परेशानिया उठ खड़ी होती हैं। अनेक किस्म की परेशानियां खड़ी होती हैं, सब लोग साथ छोड़कर चले जाते हैं, निंदा भी करते हैं। ऐसे में कोई रास्ता न सूझे तो शिवलिंग की स्थापना अपने हाथ से बना कर करें, फिर प्राण-प्रतिष्ठा करें और नियमित पूजा करें, अद्भुत फल प्राप्त होगा !!!
सनी शर्मा (पंजाब)
आदेश आदेश नाथ जी को
पेज नाम :-NATH PANTH & SHIV GORAKSH DHAM SATNALI 

वशीकरण साधना सिद्धि से पूर्व :----

कोई भी वशीकरण साधना सिद्धि से पूर्व
मंगलवार को हनुमान जी का पूजन करना
आवश्यक है और बच्चो मे प्रसाद बाट दे
जिस व्यक्ति पे आप प्रयोग करते हो उससे
प्रयोग करने के बाद जुट नहीं बोलना चाहिए
सिर्फ सती बोलिए नहीं तो वशीकरण का
प्रभाव कम होने लगता है
व्यक्ति विशेष से आपका परिचय होना
चाहिये,अगर बात होती होगी तो बहोत
अच्छी बात है॰
रविवार और मंगलवार प्रत्येक वशीकरण साधना
एवं प्रयोग करने के लिए उपयुक्त है
साबर वशीकरण साधना मे रुद्राक्ष का माला
और उत्तर दिशा का महत्व है , आसन और वस्त्र
लाल हो ………….
व्यक्ति विशेष पर प्रयोग करने से पूर्व मंत्र का
किसी भी शुभ समय मे ११ दिन से पहिले या ११
डीनो मे १ ,१०० बार मंत्र जाप करले , मंत्र जाप के
बाद जलते हुये कोयलों पे मंत्र से लोबान+गूगल
मिलकर १०८ आहुती दे दीजिये , इस सारे क्रिया
के बाद अमुक के जगह स्त्री/पुरुष का नाम लेकर
नित्य १०८ बार जाप कुछ ही दिन करने से
व्यक्ति विशेष आपके अनुकूल हो
जायेगा , साधमा पूर्णत: प्रामाणिक है सोच
समजकर ही प्रयोग करे नहीं तो हानी १००%
होगी ये मेरा गारंटी है...........आगे आपके
विचार जो स्वयं आप ही बदल सकते हो......

only information some time after i will given some real spells..

BATUK BHAIRAV 101 SADHNA PRAYOG

STARTING DAY-Any Sunday


It is said that in the present times of Kaliyug the Sadhanas of Lord Bheirav are among the most easy to accomplish and succeed in. The ancient text Shiv Mahapuraan states that Bheirav is but another form of Lord Shiva and he protects his devotees from the most grave dangers.
The text Shakti Samagam'lhntra tells how Bheirav first manifested. In the ancient times a demon named Aapad performed very severe penance and became immortal. He started using his power to harass the gods and human beings. At last when his atrocities became unbearable the gods got together and started to think of some way to put an end to the life of Aapad.
They prayed to Lord Shiva for help and in response a divine radiance appeared from the form of the Lord. This assumed the form of a five year old child Batuk Bheirav. Simultaneously divine radiance also poured
' forth from the forms of the gods and merged into the form of Batuk. Thus the child Batuk was blessed by all
" divine beings and he became invincible.


Batuk Bheirav killed the demon Aapad and he came to be known as Aapaduddhaarak Bheirav i.e. Bheirav who got rid of demon Aapad. From that time Aapad came to be a synonym of problems and Bheirav is the deity who protects his devotees from all problems in life.
Through Batuk Bheirav Sadhana the following gains can be had.
1. All problems, obstacles and dangers are removed from one's life.
2. One becomes mentally peaceful and quarrels and
3.tensions in family life come to an end.


*. One is protected even from future problems if one regularly tries this Sadhana at least once every year.
*. In order to make the state authorities favourable and to win court cases there is no better Sadhana.
*. One's life and property are protected from all dangers.


In the night of a Sunday have a bath and wear fresh clean clothes. Then on a wooden seat placed before yourself make a mound of black sesame seeds. On it place a Batuk Bheirav Yantra. Light a ghee lamp and then offer flowers and vermilion to the Lord. Pray to the Guru for success in the Sadhana.
Then join both palms and meditate on the divine form of the Lord chanting thus.
Bhakatyaa Namaami Batukam Tarunnam, Trinetram, Kaam Pradaan Var Kapaal Trishool Dandaan. Bhaktaarti Naash Karanne Dadhatam Kareshu, Tam Kostubhaa-Bharann Bhooshit Divya Deham.
Then take some rice grains in your right hand and speak out your problems clearly. Next move the rice grains around your head and throw them in all direc¬tions. Then with a Batuk Bheirav rosary chant eleven rounds of following Mantra.


1.Om Hreem Batukaay Mam Sarv Karyae Siddhim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.
Do this regularly for 7 days. After 7 days drop the Yantra and rosary in a pond or river. Soon favourable results would manifest.
2. Om Hreem Batukaay Mam bhoot bhavishyam darshayae darshyae Batukaay Hreem Om Swaahaa.
3. Om Hreem Batukaay Shigrah Mam Manovanchitam Karya Siddhim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


4. Om Hreem Batukaay Mam Tantra Badha Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


5. Om Hreem Batukaay Mam Manovaanchit Karyae Siddhim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


6. Om Hreem Batukaay Mam Grah Badhaa Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


7. Om Hreem Batukaay Mam Bhoot Badha Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


8. Om Hreem Batukaay Mam Nazar Dosh Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


9. Om Hreem Batukaay Mam Rajya Badha Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


10. Om Hreem Batukaay Mam Rozgar BadhaNivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


11. Om Hreem Batukaay Mam Pret BadhaNivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


12. Om Hreem Batukaay Mam Kaal Sarp Dosh Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


13. Om Hreem Batukaay Mam Pitree Dosh Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


14. Om Hreem Batukaay Mam Manovaanchitam Darshayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


15. Om Hreem Batukaay Mam Swapne Manovaanchitam Darshayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


16. Om Hreem Batukaay Mam Swapne Mam Ishtam Darshayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


17. Om Hreem Batukaay Mam Shatru Badha Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


18. Om Hreem Batukaay Mam Sarv Badha Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


19. Om Hreem Batukaay Mam Mukadma Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


20. Om Hreem Batukaay Mam Poorn Chaityanayam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


21. Om Hreem Batukaay Mam Praan Deh Rom Prati Rom Chaityanayam Jagrayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


22. Om Hreem Batukaay Amuk Apsara(Take the name of the apsara)Mam Vashyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


23. Om Hreem Batukaay Mam Patnim Mam Vashyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


24. Om Hreem Batukaay Mam Pati Mam Vashyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


25. Om Hreem Batukaay Mam Rakshaam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


26. Om Hreem Batukaay Mam Swapne Darshayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


27. Om Hreem Batukaay Mam Grihae Klash Nivranam Kuru-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


28. Om Hreem Batukaay Mam Pratyaksh Darshayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


29. Om Hreem Batukaay Mam Santan Badha Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa Om Hreem Batukaay Mam Santan Badha Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa


30. Om Hreem Batukaay Mam Kanya Vivah Badha Nivarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


31. Om Hreem Batukaay Mam Promotionam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


31. Om Hreem Batukaay Mam Manovaanchit Rozgaaram Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


32. Om Hreem Batukaay Mam Maargdarshanam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


34. Om Hreem Batukaay Mam Bhavishyam Darshayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


35. Om Hreem Batukaay Karna Pishachini Devi Mam Vashyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


36. Om Hreem Batukaay Mam Akaal Mrittu Nivaarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


37. Om Hreem Batukaay Mam Aakasmik Durghatnaa Nivaarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


38. Om Hreem Batukaay Mam Sarvaarishtt Nivaarayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


39 Om Hreem Batukaay Mam Vaahan Durghatnaa Nivaarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


40. Om Hreem Batukaay Mam Rinam Chindim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


41. Om Hreem Batukaay Mam Nidhim Darshanam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


42. Om Hreem Batukaay Mam Akash Gaman Siddhim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Namah Shiyayae.


43. Om Hreem Batukaay Mam Ashtt Siddhim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


44. Om Hreem Batukaay Mam Manovaanchit Patnim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Namah Shiyayae.


45. Om Hreem Batukaay Mam Manovaanchit Patnim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Namah Shiyayae.


46. Om Hreem Batukaay Mam Poorna Aarogyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


47. Om Hreem Batukaay Mam Sarv Rogaan Shamayae -2 Nashyae-2 Mam Poorna Aarogyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


48. Om Hreem Batukaay Mam Sarv Paapaan Shamayae -2 Nashyae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


49. Om Hreem Batukaay Mam Sarv Shatrun Shamayae -2 Nashyae-2 Mam Poorna Aarogyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


50. Om Hreem Batukaay Mam Sarv Shtrunaam Bhanjayae-2 Nashyae-2 Shamayae -2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


51. Om Hreem Batukaay Mam Sarv Shtrunaam Sthabhayae-2 Nashyae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


52. Om Hreem Batukaay Mam Manovanchit Vidya Praatim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


53. Om Hreem Batukaay Mam Shigrah Aarogyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


54. Om Hreem Shreem Kleem Batukaay Mam Poorna Grihasth Sukham Kuru Kuru Batukaay Om Hreem Shreem Kleem Swaahaa.


55. Om Hreem Batukaay Mam Dhirgah Aayu Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


56. Om Hreem Shreem Kleem Ayeim Batukaay Mam Sarv Tantra Badham Shamayae -2 Nashyae-2 Mam Poorna Aarogyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Shreem Kleem Ayeim Om Swaahaa.


57. Om Hreem Batukaay Sarv Janam Vashikarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


58. Om Hreem Batukaay Amukasyae Sammohnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


59. Om Hreem Batukaay Amukasyae Aakarshnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


60. Om Hreem Batukaay Dhan Badham Door Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


61. Om Hreem Batukaay Amukam Poorn Chaityanayam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


62. Om Hreem Batukaay Mam Swapne Avtar Avtar Mam Bhavishyam Kathyae Kathyae Batukaay Hreem Om Swaahaa.


63. Om Hreem Batukaay Mam Swapne Avtar Avtar Gatam Vartmaanaam Darshayae Darshayae Batukaay Hreem Om Swaahaa.


64. Om Hreem Batukaay Shigrah Mam Poorn Chaityanayam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


65. Om Hreem Batukaay Aagach Aagach Batukaay Hreem Om Swaahaa.


66. A Batuk Bhairav Kee Moorat Haazir Ho Naa Hove To Raaja Raam Chandra Laxman Jatii Kee Dhuaee Phirae.


67. Om Hreem Batukaay Mam Sarva Shatrunaam Vaacham Padam Sthambhaye-2 Jiwahaan Keelayae-2 Buddhim Naashayae-2 Hreem Om Swaahaa.


68. Om Hreem Batukaay Mam Sarvaang Peera Nivaarayayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


69. Om Hreem Batukaay Mam Poorn Pragaayaan Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


70. Om Hreem Batukaay Mamopari Poorn Kripaadrishtim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


71. Om Hreem Batukaay Amukasyae Garbh Rakshaam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


72. Om Hreem Batukaay Amukasyae Grihe Dirgah Jeevit Sutam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa


73. Om Hreem Batukaay Mam Grihe Manovaanchitam Dirgah Jeevit Sutam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa


74. Om Hreem Batukaay Mam Grihe Manovaanchit Santaanam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa


75. Om Hreem Batukaay Mam Videsh Yaatraa Kaaryam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


76. Om Hreem Batukaay Amukasyae Amuk Kaaryam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


77. Om Hreem Batukaay Amukasyae Aapadhudhaarnaayae Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


78. Om Hreem Batukaay Mam Vayu Gaman Siddhim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


79. Om Hreem Batukaay Karna Pishachini Devim Stambhit Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


80. Om Hreem Batukaay Pushpdeha Apsara Mam Vashyam Kuru Kuru Batukaay Agyaam Palayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


81. Om Hreem Batukaay Mam Sarvaang Doshaan Nivaarayayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


82. Om Hreem Batukaay Mam Durbhagyam Naashyayae-2 Soubhagyam Dehi Dehi Batukaay Hreem Om Swaahaa.


83. Om Hreem Batukaay Mam Durgatee Naashinyayae Batukaay Hreem Om Swaahaa.


84. Sarrvaa Baadhaa Prashmanam, Tralokisayayae Akhileshwar!


Avmev Tvyaa Kaaryam Asmad Veri Vinnashnam!!


85. Om Hreem Batukaay Mam Dev Dosh Nivaarayayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


86. Om Hreem Batukaay Sarp Gatim Stambhit Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


87. Om Hreem Batukaay Naaginim Gatim Stambhit Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


88. Om Hreem Batukaay Mam Saparivaar Rakshaam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


89. Om Hreem Batukaay Mam Saantaanasyae Rakshaam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


90. Om Hreem Batukaay Mam Saantaanasyae Sarvaarishtt Nivaarnam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa.


91. Om Hreem Batukaay Mam Saantaanasyae Apaduddhaarnaayae Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa


92. Om Hreem Batukaay Mam Saafalyam Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaha.


93. Om Hreem Batukaay Mam Poorn Kaarya Siddhim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaha.


94. Om Hreem Batukaay Mam Vishishtt Kaarya Siddhim Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaha.


95. Om Hreem Batukaay Mam Sarv Shatrun Naashayae-2 Batukaay Hreem Om Swaha.


96. Om Hreem Batukaay Mam Akaal Mrittu Nivaarayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


97. Om Hreem Batukaay Amukasyayae Akaal Mrittu Nivaarayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


98. Om Hreem Batukaay Amukasyayae Sarvaabhaav Nivaarayae-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


99. Om Hreem Batukaay Amukasyayae Sarvupadrav Naashnam Kuru-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


100. Om Hreem Batukaay Mam Grihayae Sarvupadrav Naashnam Kuru-2 Batukaay Hreem Om Swaahaa.


101. Om Hreem Batukaay Mam Poorna Tantra Siddhim Kuru-2 Batukaay Hreem Om Namah Shiyayae.