भगवान श्री शरभेश्वर -शालुव - पक्षिराज का चिंतामणि शाबर -
मंत्र मंत्र:—- ॐ नमो आदेश गुरु को ! चेला सुने गुरु फ़रमाय ! सिंह दहाड़े घर में जंगल में ना जाये ,घर को फोरे , घर को तोरे , घर में नर को खाय ! जिसने पाला उसी का जीजा साले से घबराय ! आधा हिरना आधा घोडा गऊ का रूप बनाय ! एकानन में दुई चुग्गा , सो पक्षी रूप हो जाय ! चार टांग नीचे देखूं , चार तो गगन सुहाय ! फूंक मर जल-भूंज जाय ,,काली- दुर्गा खाय ! जंघा पे बैठा यमराज महाबली , मार के हार बनाय ! भों भों बैठे भैरू बाबा , नाग गले लिपटाय ! एक झपट्टा मार के पक्षी , सिंह ले उड़ जाय ! देख देख जंगल के राजा पक्षी से घबराय ! ”””’ॐ खें खां खं फट प्राण ले लो , प्राण ले लो —-घर के लोग चिल्लाय ! ॐ शरभ -शालुव - पक्षिराजाय नम: ! मेरी भक्ति , गुरु की शक्ति , फुरो मंत्र ईश्वरॊवाचा ! दुहाई महारुद्र की ! देख चेला पक्षी का तमाशा स्वाहा ””” !!!…..
विधान/;- यह मंत्र साधारण मंत्र नहीं ! अपितु शाबर मंत्रो में चिंतामणि मंत्र है ! मेरे परिवार की शरभ -साधना – परम्परा में यह मंत्र क्रियात्मक रूप से प्रचलित रहा ! कुछ समय पूर्व मेने इस मंत्र को एक प्रसिद्ध पंचांग में भी प्रकाशित किया था —-सर्व प्रथम ! उसके पश्चात एक पत्रिका ने इसको पंचांग से लेकर प्रकाशित कर दिया ! अब कुछ वर्षो पूर्व ही मेने मेरी पुस्तक ”निग्रह-दारुण-सप्तकं” में इस मंत्र को -[अन्य और भी शाबर मंत्रो के साथ ] प्रकाशित किया है ! ये मंत्र अत्यंत ही घोर मंत्र है ! किसी भी महापर्व में इस मंत्र का अनुष्ठान आरम्भ करे ! श्मशान में , शिव मंदिर में , निर्जन स्थान में , तलघर में , शुन्यागार में ..या अपनी पूजा-कक्ष में भी ! २१ दिन नित्य रात्रि में रुद्राक्ष की माला पर ५ माला जप करे ! दिशा उत्तर , रक्त आसन , दीपक प्रज्ज्वलित रहे !
जय श्री राम
ReplyDeleteKisi ki mata or unki betiyo meh apasi prem bdane k liye koi mantra btaiye
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