चर्पटी नाथ परम्परा का अद्दभुत
शाबर -मंत्र
श्री दत्त आदार्यु श्रुस्रेस्व:हुम् साबरमम
अधरमम ब्रहम निर्हरा सटी , पदम्
पदाम्त्रिश केश्वरीम ॐ भू : स्व:स्ति !!!
इस मंत्र को भोवल मंत्र कहते हैं !
भोवल अर्थात चक्कर आना ,, मस्तक
बधिर होना ! यह भोवल-रोग पशुओ और
मनुष्य दोनों पर ही अपना प्रभाव
दिखता है ! इससे पीड़ित प्राणी जगह
जगह गोल गोल घुमने लगता है और
पागलो जेसी हरकत करने लगता है !
प्रस्तुत मंत्र स्वयं सिद्ध है ,, फिर
भी किसी महापर्व में इस मंत्र का जप
अपने आराध्य-देव के सम्मुख ..धुप-दीप
प्रजव्लित करके ११ माला की संख्या में
कीजिये ! …………..
जब किसी समय इस रोग से पीड़ित
प्राणी पर इस मंत्र प्रयोग
करना हो तो भस्म या शुद्ध
मिटटी अपने हाथ में लीजिये और मंत्र से
११ बार अभिमंत्रित कीजिये और
रोगी पर फेंक या उसके मस्तक पर
लगा दीजिये ……मंत्र-प्रभाव से तुरंत
चमत्कार-पूर्ण लाभ होगा ! उसके
पश्चात किसी काले धागे में ११ गांठ
मंत्र उचारण की साथ लगाये और
रोगी के गले में धारण करवा दे..!!! ..ये
मंत्र मुझे परम्परा से प्राप्त है … साधक
जनों के लाभार्थ इसे यहाँ प्रस्तुत
किया ! मंत्र शुद्ध है !
Guru Gorakhnath गुरु गोरखनाथ
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Shiv Gorakshdham Satnali Sunny Sharma
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