Thursday, 31 August 2017

भैरव का मूल मंत्र :----

भैरव का मूल मंत्र :---

रविवार एवं बुधवार को भैरव की उपासना का दिन माना गया है।

कुत्ते को इस दिन मिष्ठान खिलाकर दूध पिलाना चाहिए।

भैरव की पूजा में श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शत-नामावली का पाठ करना चाहिए।

भैरव की प्रसन्नता के लिए श्री बटुक भैरव मूल मंत्र का पाठ करना शुभ होता है।

मूल मंत्र- 'ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं'।
श्री भैरव के अनेक रूप हैं जिसमें प्रमुख रूप से बटुक भैरव, महाकाल भैरव तथा स्वर्णाकर्षण भैरव प्रमुख हैं। जिस भैरव की पूजा करें उसी रूप के नाम का उच्चारण होना चाहिए। सभी भैरवों में बटुक भैरव उपासना का अधिक प्रचलन है। तांत्रिक ग्रंथों में अष्ट भैरव के नामों की प्रसिद्धि है। वे इस प्रकार हैं-

1. असितांग भैरव,
2. चंड भैरव,
3. रूरू भैरव,
4. क्रोध भैरव,
5. उन्मत्त भैरव,
6. कपाल भैरव,
7. भीषण भैरव
8. संहार भैरव।

क्षेत्रपाल व दण्डपाणि के नाम से भी इन्हें जाना जाता है।
श्री भैरव से काल भी भयभीत रहता है अत: उनका एक रूप 'काल भैरव' के नाम से विख्यात हैं।

दुष्टों का दमन करने के कारण इन्हें "आमर्दक" कहा गया है।

शिवजी ने भैरव को काशी के कोतवाल पद पर प्रतिष्ठित किया है।

जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में शनि, मंगल, राहु आदि पाप ग्रह अशुभ फलदायक हों, नीचगत अथवा शत्रु क्षेत्रीय हों। शनि की साढ़े-साती या ढैय्या से पीडित हों, तो वे व्यक्ति भैरव जयंती अथवा किसी माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, रविवार, मंगलवार या बुधवार प्रारम्भ कर बटुक भैरव मूल मंत्र की एक माला (108 बार) का जाप प्रतिदिन रूद्राक्ष की माला से 40 दिन तक करें, अवश्य ही शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

सनी शर्मा

फेसबुक पेज नाम  :-NATH PANTH & SHIV GORAKSH DHAM SATNALI
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गुरु कृपा प्राप्ति मंत्र

गुरु कृपा प्राप्ति मंत्र 
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम् |
मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ||
अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् |
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ||
ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं |
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्षयम् ||
एकं नित्यं विमलं अचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् |
भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि ||

इन मंत्रो को १००० बार जाप करने से मनुष्य को असीम शांति और आनन्द मिलता है |जाप भाव पूण हो तभी लाभ मिल सकता है | गुरु किरपा तो हमेशा ही बरस रही है |बस आप को आपने मन के दरवाजे खोलने की जरुँर्ट है | अनुभव रूपी विष को समाप्त कर आनदं माय बनाने का रास्ता है !!!

Wednesday, 30 August 2017

रोगो बिमारियों (TOTKE Aur UPAYE)

अनादि काल से मनुष्य रोगो बिमारियों से त्रस्त रहा हं। कभी रोगो के लक्षण पकड़ में आ जाते हं,तथा कभी बिमारी का कारण पता हि नहंी चलता । अच्छे सा अच्छा चिकित्सक भी मरीज को स्वस्थ्य करने में असमर्थ होता हं। ज्योतिष शास्त्र में इस तरह के रोगो के उपचार के उपाय बताऐं गयें हैं। अपनी राशि के अनुसार यदि निम्र उपचारो को अपनाया जाए तो शीघ्र हि स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता हं। 

मेष राशि - रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा लाल रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना शाम को पीये। 

वृषभ राशि - काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले,सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।  

मिथुन राशि - रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा हरे रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना शाम को पीये। कर्क राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले,सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें। सिंह राशि- रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा लाल रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना शाम को पीये। कन्या राशि - हरे रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना शाम को पीये। तुला राशि - सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करे। वृश्चिक राशि- लाल रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना रात को पीये। धनु राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले, पीले रंग की बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें। मकर राशि- त्रिफला चूर्ण का सेवन करें, तथा नीले रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना रात्री को पीये। कुम्भ राशि- लौंग का सेवन करें, तथा नीले रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना रात्री को पीये। मीन राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले, पीले रंग की बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।

गणपति जी नाम पूजा अर्चना :--

ॐ नमः शिवाये
श्री शम्बू यति गोरखनाथ जी महाराज को आदेश आदेश
जय हो मेरी सच्ची सर्कार
जलख निरंजन मेरे सिद्धयोगी बाल दूधा धारि बाबा बलखनाथ को आदेश आदेश !!!

गणपति जी नाम पूजा अर्चना :--

मंत्र :--------------------

ऊँ गं गणपतये नमः ।।

विधि :---

आमंत्रण :---- शिव की के जा गणपति बाबा जी के मंदिर मैं जा कर बाबा जी से प्रे करना कृपा करने के लिए और जब बी जाओ साथ मैं कुछ ले कर जाना खली हाथ नहीं जाना है वह कुछ बी ले जाना जो आपको सही लगे !!

साधना :----- शुभ दिन पर शुभ मूरत पर करना है सुरु नहीं तो बाबा गणपति जी के चतुर्थी को सुरु करना है वैसे अभी शुभ मूरत है आप यह साधना को २२ सितम्बर को बी कर सकते हो क्युकी नवराति सुरु हो रही है !

१) आसान !
२) माला रुद्राख की जा तुलसी की जा हाथो की उँगलियों पर बी कर सकते हो !
३) घी का दीपक !
४) डेली भोग लगाना है आपको मीठी चीज़ का जो बी आपको सही लगे कबि मीठी कबि मोदक और कबि बाताशये !
५) धुप ,जा अगरवती !
११ माला डेली करनी है आपको अगर आपके पास माला नहीं है तो आपको हाथो पर जाप करना है कम से कम १ घंटा तक ४१ दिन तक करि है ! जब तक साधना पूरी नहीं होती है अणि अनुभूति किसी से बी शेयर नहीं करनी है आपको ! और जिन का इंट्रेस्ट है बाबा गण पति मैं वो इसको अपना गुरु मंत्र बी मन कर यह साधना कर सकते है !

नोट:------

१) कम बोना है साधना काल मैं
२) घृस्त जीवन से ४१ दिन
३) घर का खाना खाना है जितना कब कहोगे उतना अच्छा है !
४) ४१ दिन तक कही नहीं जाना है सिर्फ जाते बी हो तो साधना यहाँ सुरु की है वही पर करनी है और टाइम एक ही होगा ! सूबा शाम का !
५) जुठ कम बोलना और हो सकते हो किसी बी कन्या को देख कर जा किसी क लिए बी मन मैं कोई बुराई नहीं रखना है आपको !
यह कुछ आम नियम है याद करना आपको ११ माला मैंने बोली है लेकिन आपको १२५००० जाप देना है आप देखो अभी
कितने दिनों मैं कर सकते हो इस चीज़ को ! कम से कम दिल की ३० माला निकलती है सो आप अपने हिसाब से देख कर क्र सकते हो !
गुरु मंत्र बनाना है आपको तो १२५००० जाप देना है उसके बाद आपको आगे की विधि और रूल नेक्स्ट वीडियो मैं दे दुगा !!!
अलख निरंजन नवनाथ ८४ सिद्ध योग्यों को आदेश आदेश !!!

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